बड़ा घर बनाने का वादा करके गए मनदीप का शव ताबूत में पहुंचा तो रो उठे गांव वासी
भारत-चीन सीमा पर शहीद हुए मनदीप सिंह खुशदिल मिजाज व बच्चों का चहेता था। परिवार को बड़ा घर बनाने का वायदा करके गए मनदीप सिंह के शहीद होने के बाद शव ताबूत में पहुंचा तो गांववासियों की आंखें नम हो गई। मनदीप को अंतिम विदाई देने के लिए करीब एक हजार लोग पहुंचे और हर व्यक्ति गमगीन था।
प्रेम वर्मा,गुरदीप कटारिया (पटियाला)
भारत-चीन सीमा पर शहीद हुए मनदीप सिंह खुशदिल मिजाज व बच्चों का चहेता था। परिवार को बड़ा घर बनाने का वायदा करके गए मनदीप सिंह के शहीद होने के बाद शव ताबूत में पहुंचा तो गांववासियों की आंखें नम हो गई। मनदीप को अंतिम विदाई देने के लिए करीब एक हजार लोग पहुंचे और हर व्यक्ति गमगीन था। कड़ी धूप में गांव के लोग पांच घंटे तक अंतिम दर्शन के लिए गलियों में, घर की छतों पर, पेड़ों के नीचे खड़े रहे। हर कोई उन्हें अंतिम बार देखना चाहता था। जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही मंदीप के पिता लछमन सिंह का देहांत हो गया था। परिवार की जिम्मेदारी निभाने के साथ-साथ फौज में नौकरी करने के सपने को पूरा करने के लिए दिन रात मेहनत करते थे। मनदीप सिंह पर फौज का जुनून भी ऐसा कि आठ-दस किलोमीटर की दौड़ को तो कुछ भी नहीं समझते थे। उनकी फिटनेस की वजह से ही आर्मी ने रिटायरमेंट का विकल्प न लेने पर मनदीप की नौकरी जारी रखने के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया था। उनकी दरियादिली, जिदादिली व बच्चों के हरमन प्यारे होने के नाम को गांव के लोग हमेशा याद रखेंगे.. यह कहना था गांव सील के लोगों का।
मनदीप सिंह के गांव सील में करीब दो हजार लोग रहते हैं, जिनमें से अभी छह युवक फौज में है। मनदीप सिंह गांव का पहला शहीद है, जिनकी याद में स्मारक बनाने की मांग की जा रही है।
मुझे बोला था बच्चों की फीस जमा करवा दे: जोरा सिंह
शहीद मनदीप सिंह के दोस्त व उनके साथ ही फौज में भर्ती जोरा सिंह ने कहा कि उन्होंने रिटायरमेंट ले ली थी, जिसके बाद वह गांव में रहते हैं। अभी कुछ दिन पहले ही उसका फोन आया था कि बच्चों की स्कूल की फीस भर देना। मनदीप के दोनों बच्चे आर्मी स्कूल में पढ़ते हैं। जोरा सिंह ने कहा कि उनका दोस्त खुशमिजाज व जिदादिल इंसान था, जिसके बिछड़ने का गम पूरी उम्र रहेगा।
फौज का जुनूनी था मनदीप : वजीर
शहीद नायब सूबेदार मनदीप सिंह के पड़ोसी वजीर सिंह ने कहा कि वह उनकी आंखों के सामने ही पला-बढ़ा था। उसके अंदर शुरू से फौज में भर्ती होने का जुनून था। उसके चाचा फौज में थे, तो वह खुद भी फौज में जाना चाहता था। सुबह उठते ही दौड़ लगाता था और दस किलोमीटर की दौड़ को तो वह कुछ भी नहीं समझता था। गांव में छुट्टी पर आने पर बच्चों से बहुत प्यार करता था। उनके साथ खेलता व उन्हें पढ़ाता था। गांव के बच्चे व बड़े सभी उसे बड़ा प्यार करते थे।
हमारा गांव तो चीन का बॉयकाट करेगा : गुरप्रीत सिंह
सील गांव निवासी गुरप्रीत सिंह ने कहा कि मनदीप सिंह उनके बड़े भाई की तरह थे। उनकी शहादत पर जहां गर्व है, वहीं उनके बिछड़ने का दुख भी है। अमन व शांति पसंद हमारे देश के जवान व बड़े भाई मनदीप सिंह की शहादत का कारण बने चीन के खिलाफ गांव के सभी युवाओं में रोष है। गांव के सभी युवाओं ने फैसला किया है कि उनका गांव चीन व चाइनीज वस्तुओं का बॉयकाट करेगा।
बचपन से ही होनहार था मनदीप : अध्यापिका ललिता कुमारी
गांव सील के सरकारी प्राइमरी स्कूल से रिटायर टीचर ललिता कुमारी ने बताया कि 1988 से 1990 तक मनदीप उनके पास ही पढ़ा था। बचपन से ही वह पढ़ाई में तेज था और किसी से फालतू बात तक नहीं करता था। क्लास में हमेशा वह खुश रहता था।
पहला शहीद है, जिसका स्मारक बनवाएंगे : सरपंच
सरपंच लखवीर सिंह ने कहा कि मनदीप सिंह गांव के पहले फौजी हैं, जो शहीद हुए हैं। सभी पंच सदस्यों से मीटिग करने के बाद उनकी याद में स्मारक बनाने की मांग करेंगे।
तिरंगा में लिपटे मनदीप को सेल्यूट कर परिवार ने विदा किया
शहीद मनदीप सिंह का शव विमान के जरिए चंडीगढ़ लाया गया था। सुबह 11 बजे लेह-लद्दाख से उनका पार्थिव शरीर चंडीगढ़ पहुंचा तो वहां से आर्मी एरिया पटियाला लाया गया। यहां फूलों से सजी गाड़ी में उनका शरीर लेकर फौज की टुकड़ी व युवा जोरदार नारों के साथ काफिले में गांव में लाए। मनदीप के संस्कार से पहले शहीद की मां, पत्नी और बच्चों ने शहीद को सलामी दी और देश के वीर शहीद के बलिदान को श्रद्धांजलि दी। बहादुरगढ़ से गांव सील तक करीब पांच किलोमीटर के रास्ते में स्थानीय लोगों ने सात जगह शहीद मनदीप सिंह की पार्थिव देह पर फूल बरसा कर उन्हें श्रद्धांजलि भेंट की। शहीद मनदीप सिंह के फूल चढ़ाने की रस्म 19 जून को सुबह 9 बजे गांव सील के श्मशानघाट पर होगी। शहीद नायब सूबेदार मनदीप सिंह के अंतिम संस्कार में भारतीय सेना के बिगलर ने एक शोकपूर्ण धुन बजाई और जवानों ने अपने हथियारों को बदल दिया और शहीद को गार्ड ऑफ ऑनर देकर सलामी दी। इस दौरान भारतीय सेना के सूबेदार लखविदर सिंह, 3 मीडियम आर्टिलरी, जिसमें शहीद सेवारत थे। सेना अधिकारियों ने शहीद के शरीर के चारों ओर लिपटे तिरंगे झंडे को भावनात्मक माहौल में बच्चों को सौंप दिया और उन्हें सलामी दी। इससे पहले, पटियाला ब्रिगेड के ब्रिगेडियर अतुल भट्ट ने भारतीय सेना प्रमुख की ओर से शहीद को श्रद्धांजलि दी। कोर टू कमांडर अंबाला की ओर से कर्नल उथिया, एक आर्म्ड डिवीजन पटियाला के जीओसी से कर्नल मोहित चोपड़ा, स्टेशन कमांडर पटियाला की ओर से सूबेदार मैनपाल सिंह मौजूद रहे। इसके अलावा एसएसपी मंदीप सिंह सिद्धू, डीसी कुमार अमित सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।