सरकार दरकिनार, भादसों के लोगों ने जज्बे से सपना किया साकार
पटियाला जिले की नगर पंचायत भादसों ने बिना सरकारी मदद के कमाल कर दिया। भादसों ने राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण में देश में पहला स्थान हासिल किया।
जेएनएन, पटियाला। नई सोच, कुछ अलग करने का जज्बा हो तो बड़े से बड़ा लक्ष्य आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। विकास और स्वच्छता के मुकाम पर अपना परचम लहरा कर पटियाला जिले के भादसों ने इसे साबित किया है। बगैर राज्य सरकार की मदद के दरकार और निर्भरता के भादसों ने जनसहयोग से नया मुकाम हासिल किया। स्वच्छ भारत-2018 की ताजा रैंकिंग में उत्तर भारत में एक लाख तक की आबादी वाले शहरों में सबसे स्वच्छ शहर का तगमा हासिल कर पटियाला जिले की नगर पंचायत भादसों ने मिशाल कायम की है।
भादसों को पहली बार नगर पंचायत का दर्जा मिला और इसके नुमाइंदे पहली बार में ही बिना किसी सरकारी वित्तीय मदद के अपने शहर को स्वच्छता रैंकिंग की बुलंदियों पर ले गए। भादसों नगर पंचायत ने सरकार को अपने अभियान के लिए कोई डिमांड नहीं भेजी बल्कि नगर पंचायत ने अपनी आय के स्रोत ही इस्तेमाल किए।
स्वच्छता में सर्वोच्च स्थान पर पहुंचने का सफर इसलिए भी सराहनीय बन जाता है कि भादसों को पांच साल पहले ही नगर पंचायत बनाया गया था और नगर पंचायत प्रधान व वार्ड पार्षदों का यह पहला कार्यकाल था। अब दूसरी बार चुनाव प्रस्तावित हैं।
---------
महिला प्रधान और पार्षदों का कमाल
जिस समय स्वच्छता सर्वेक्षण हुआ है उस समय भादसों नगर पंचायत की प्रधान निर्मला सूद थीं। नगर पंचायत में कुल 11 वार्ड हैं जिनमें से तीन पार्षद भाजपा व आठ पार्षद अकाली दल से संबंधित हैं। पहला कार्यकाल होने के बावजूद शहर की सड़कों व गलियों में इंटरलॉकिंग टाइल्स लगवाई गईं। स्ट्रीट लाइट्स को शहर की हर गली में लगवाया गया।
सही दिशा के लिए लोकल बॉडीज की डिप्टी डायरेक्टर को बनाया एंबेसडर
वार्ड छह से अकाली पार्षद कौंसलर बल्ला राम का कहना है कि भादसों को साफ व सुंदर बनाने पर सभी पार्षद एकमत थे। सही दिशा मिले इसलिए लोकल बॉडीज महकमे की डिप्टी डायरेक्टर जीवनजोत कौर को स्वच्छता के लिए एंबेसडर बनाया गया।
एनजीओ को जोड़ा साथ घर-घर बंटवाए डस्टबिन
अभियान के साथ एनजीओ 'सरबत दा भला' के चेयरमैन एसपी सिंह ओबराय को भी जोड़ा गया। एनजीओ ने स्वच्छता में कदम बढ़ाया और नगर पंचायत की ओर से भादसों के करीब 1500 घरों में दो-दो डस्टबिन फ्री में बांटे।
सूखे आैर गीले कचरे के बनाए गए पिट्स।
गीले व सूखे कचरे के लिए अलग-अलग पिट्स
नगर पंचायत ने गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग रखने के लिए पिट्स बनवाए। अभियान के प्रति लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए नुक्कड़ नाकटों, पेंटिंग्स, करीब पांच लाख रुपए खुद खर्च किए।
-----
'हमारे लिए चुनौती थी स्वच्छ सर्वेक्षण'
हम पहली बार स्वच्छ सर्वेक्षण में हिस्सा ले रहे थे। हमारे सामने चुनौती थी इसलिए कोई कसर नहीं छोडऩा चाहते थे। घर-घर जाकर लोगों को जागरूक किया। परिणाम बेहद सुखद रहा।
- पूर्व प्रधान निर्मला सूद, नगर पंचायत।
---
लोगों ने मुझ पर विश्वास जताया था
नगर पंचायत के नुमाइंदों ने मुझ पर इस पूरे अभियान की सुपरविजन की जिम्मेदारी सौंपी थी। लोगों को विश्वास न टूटे इसलिए योजनाबद्ध तरीके से जागरुकता, सफाई व निर्माण कार्य करवाए जिसका परिणाम अब निकला है।
- जीवनजोत कौर, डिप्टी डायरेक्टर, स्थानीय निकाय विभाग।