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सजा पूरी कर कैदी आजाद, मेहनताना अभी भी कैद

राज्य की जेलों में कैदियों से जेल प्रबंधक काम तो ले रहे हैं लेकिन रिहाई के बाद उन्हें मेहनताना नहीं दे रहे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Oct 2019 11:31 PM (IST)Updated: Tue, 22 Oct 2019 11:31 PM (IST)
सजा पूरी कर कैदी आजाद, मेहनताना अभी भी कैद
सजा पूरी कर कैदी आजाद, मेहनताना अभी भी कैद

प्रेम वर्मा, पटियाला : राज्य की जेलों में कैदियों से जेल प्रबंधक काम तो ले रहे हैं, लेकिन रिहाई के बाद उन्हें मेहनताना नहीं दे रहे। मेहनताना मांगने पर दबाव बनाकर चुप करवा दिया है। ऐसा ही कुछ अमृतसर, पटियाला सेंट्रल जेल, फरीदकोट व बठिडा जेल में कैदियों से हो रहा है। राज्य की विभिन्न जेलों में करीब 15 साल की कैद काटने के बाद रिहा हुए पटियाला के नंदपुर केशों वासी जरनैल सिंह जैली ने मेहनताना पाने के लिए आवाज उठाई है। उसने सरकार के अलावा मानवाधिकार आयोग व जेल के सीनियर अधिकारियों को लेटर लिखते हुए इंसाफ मांगा है। एक मार्च को जेल से रिहा हुए जरनैल सिंह जैली ने कहा कि अब तक मेहनताना पाने के लिए धक्के खा रहा है, लेकिन इंसाफ नहीं मिला। इस वजह से सरकार के अलावा केंद्र को भी लेटर लिखा है। उन्होंने कहा कि 60 हजार रुपये तक की रकम बकाया है। लेटर में लिखा कि पटियाला सदर थाने में 1994 में नशा तस्करी का मामला दर्ज किया था। इस मामले में 2011 तक पटियाला सेंट्रल जेल में कैद काटी, जिसके बाद उसका चालान अमृतसर का बना दिया। यहां अमृतसर में कैद काटने के बाद बठिडा जेल में चार साल बंद किया। इसके बाद फरीदकोट जेल में चार साल और कपूरथला जेल में तीन साल गुजारे। 15 साल की सजा भुगतने के बाद एक लाख के करीब जुर्माने की राशि भी अदा कर दी थी। जरनैल सिंह ने कहा कि उक्त सभी जेलों में कैदियों से जान-पहचान हुई थी, इन लोगों को भी मेहनताना नहीं मिला है।

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जेल अधिकारियों के बैंक खाते चेक करने की मांग

जरनैल जैली ने कहा कि जेल में बंद कैदियों को पहले कैश भुगतान करते थे, लेकिन कुछ साल पहले डाकखाने में कैदी के नाम पर बैंक खाते खोल दिए। जिनकी कॉपियां जेल अधिकारी के पास रहती हैं। रिहा होने के बाद कैदियों को इन खातों की जमा पूंजी के बारे में कुछ पता नहीं चल पाता। जरनैल सिंह ने मांग करते हुए कहा कि डाकखानों में खुले कैदियों के खातों के अलावा जेल अधिकारियों के बैंक खातों की भी चेकिग सरकार अपने लेवल पर करे।

खाते का पूर्ण अधिकार कैदी के पास ही

डीआइजी जेल एलएस जाखड़ ने कहा कि जिस कैदी ने कंप्लेंट दी है, उससे वह अच्छी तरह से वाकिफ है। कैदी के बैंक खाते का अधिकार उसके पास ही है। यह बैंक खाता जेल सुपरिंटेंडेंट 75 पैसे देकर खुलवाता है, जिसके बाद कैदी का मेहनताना इसमें जमा होता रहा है। इस खाते का पूर्ण अधिकार कैदी के पास ही रहता है। रही बात कंप्लेंट करने वाले कैदी जरनैल सिंह की तो उसने काम किया या नहीं और कितना मेहनताना बनता है, इस बारे में जेल सुपरिंटेंडेंट से जानकारी मिलने के बाद बता सकते हैं।


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