जनरल जेजे सिंह के अकाली दल छोड़ने से बढ़ी पार्टी की मुश्किलें, पटियाला में नहीं कोई कद्दावर चेहरा
पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल जेजे सिंह ने पार्टी लीडरशिप की नीतियों से असंतुष्ट होकर अकाली दल से त्यागपत्र देने की घोषणा की है।
जेएनएन, पटियाला। पूर्व सेना अध्यक्ष जनरल जेजे सिंह के शिरोमणि अकाली दल से त्यागपत्र देने से पटियाला लोकसभा सीट पर कांग्रेस की मजबूत पकड़ तोड़ने में शिअद सफल होता नजर नहीं आ रहा। जेजे सिंह ने पार्टी लीडरशिप की नीतियों से असंतुष्ट होकर त्यागपत्र देने की घोषणा की है। अकाली दल ने 2017 के विधानसभा चुनावों में पटियाला शहरी से कांग्रेस उम्मीदवार कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ उनको मैदान में उतारा था।
भारतीय सेना के शीर्ष पद पर रह चुके जनरल जेजे सिंह को मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा था, लेकिन उनकी विधानसभा चुनाव में हार हुई। हालांकि उनकी बेहतर छवि अकाली दल के लिए काफी अहमियत रखती थी। उनके त्यागपत्र के बाद लोकसभा चुनाव 2019 में पटियाला से कांग्रेस की मजबूती बरकरार रहेगी। अकाली दल इस मजबूती को तोड़ने के प्रयास में नाकाम नजर आया है। जनरल सिंह ने इस्तीफे के बाद जो संदेश दिया है, उसमें शिअद नेतृत्व से अपनी नाराजगी जताई है।
उन्होंने शिअद एक्स सर्विसमैन विंग का अध्यक्ष पद छोड़ दिया है। संदेश में उन्होंने लिखा है कि उन्होंने भारी मन से शिअद व शिअद एक्स सर्विसमैन विंग का अध्यक्ष पद छोड़ा है। वह अकाली नेतृत्व की बीते दिनों की गतिविधियों से नाखुश थे। शिअद के खिलाफ काफी रोष प्रदर्शन व धरने हो रहे थे। इन सारे प्रदर्शनों को मीडिया में भी खासी जगह मिली।
खुले रहेंगे राजनीतिक विकल्प
भविष्य की योजना के बारे में जनरल जेजे सिंह ने कहा कि वह लोगों की सेवा करना चाहते हैं। उनके इस फैसले से इस निश्चय पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उनके लिए राजनीतिक विकल्प खुले रहेंगे। अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल रह चुके जनरल जेजे सिंह ने 2017 में पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले शिअद ज्वाइन की थी। कैप्टन के खिलाफ उन्हें उतारे जाने का भी अंदरखाते विरोध हुआ था।
आर्मी चीफ बनने वाले पहले सिख अफसर
जनरल जेजे सिंह सेना प्रमुख बनने वाले पहले सिख अधिकारी थे। उन्होंने 1965 व 1971 के युद्ध लड़े। कारगिल युद्ध में भी उनका अहम रोल रहा। उन्होंने सेना के 22वें अध्यक्ष के तौर पर 31 जनवरी 2005 से 30 सितंबर 2007 तक सेवाएं दीं।