बारादरी बाग में काट डाले औषधीय गुणों से भरपूर पांच पेड़
पटियाला वन विभाग व बागबानी विभाग ने बारादरी बाग में लगे डेक (नीम प्रजाति) के लगभग छह हरेभरे पेड़ काट दिए।
जागरण संवाददाता, पटियाला : वन विभाग व बागबानी विभाग ने बारादरी बाग में लगे डेक (नीम प्रजाति) के लगभग छह हरेभरे पेड़ काट दिए। तर्क यह दिया गया है कि उक्त पेड़ किसी काम के नहीं हैं, इसलिए उनको काटा जा रहा है। दूसरी ओर डेक को आयुर्वेद की नजर से देखा जाए तो उक्त पेड़ के पत्ते व फल (निमोली) रक्त को साफ करने के साथ-साथ बवासीर के इलाज की दवा के लिए इस्तेमाल होते हैं। ऐसे में न केवल बारादरी बाग में सैर करने वालों ने, बल्कि आयुर्वेद विशेषज्ञों ने इन पेड़ों की कटाई को गलत ठहराया है।
सैर करने वाले लोगों ने जताया विरोध
बारादरी बाग पटियालावासियों के लिए सैर करने का अहम स्थान है। बाग में रोजाना सैकड़ों लोग सैर करने के लिए आते हैं। मंगलवार सुबह शहरवासियों ने डेक के पेड़ काटते देख विरोध जताया कि आखिर यह पेड़ क्यों काटे जा रहे हैं। मौके पर मौैजूद लोगों ने बताया कि बाग में होने वाले विकास के लिए किसी बड़े प्रोजेक्ट के तहत उक्त पेड़ काटे जा रहे हैं, लेकिन बाग में कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं लगाया जा रहा है और न ही वहां पर कोई विकास का कार्य होने वाला है। फिर भी वहां के पेड़ काटने का सिलसिला जारी है। हालांकि पेड़ काटने के लिए वन विभाग से मंजूरी ली गई है और वन विभाग ही उनके स्थान पर नए पौधे लगाने के लिए मुहैया करवा रहा है। सवाल यह है कि उनको काटने की आखिर जरूरत क्यों पड़ी, जबकि यह पेड़ मेडिसिनल लिहाज से काफी लाभदायक हैं। बवासीर की दवाई बनती है डेक के पेड़ से : डॉ. अनिल
जिला आयुर्वेदिक अफसर डॉ. अनिल गर्ग बताते हैं कि डेक नीम की एक प्रजाति है जो आम तौर पर जगह जगह उग जाती हैं। उसके पत्ते टकोर (सेंक) करने के लिए काम आते हैं और पेड़ के फल (निमोली) बवासीर की दवाई बनाने में काम आती है। इसके अलावा रक्त साफ करने के लिए भी डेक के फल से दवाई तैयार की जाती है। इसके अलावा डेक की लकड़ी भी एंटीसेप्टिक के तौर पर काम आती है।
काम के नहीं डेक के पेड़, इस लिए काटे: डिप्टी डायरेक्टर
बागबानी विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. स्वर्ण सिंह कहते हैं कि बाग में लगे डेक के कुछ पेड़ काटे जा रहे हैं जो काम के नहीं रहे हैं। उनके स्थान पर 20-25 नए पौधे लगाए जाएंगे जिनको करीब 25 साल पहले लगाया जाता था। वे पौधे सजावटी भी हैं और कुछ अन्य तरह के भी हैं। उन्होंने कहा कि जो पेड़ लगाए जाएंगे, वो भी वन विभाग द्वारा मुहैया करवाए जा रहे हैं।
औषधीय पेड काटना गलत
फोटो 70
समाज सेवक ललित कुमार ने कहा है कि पेड़ भले बारादरी बाग में लगे हों या फिर किसी भी खुले स्थान पर लगाए गए हों, अगर वो हरे भरे हैं तो उनको काटना उचित नहीं है। पेड़ कम से कम आक्सीजन तो देते ही हैं। फोटो-71
पर्यावरण प्रेमी भगवान दास गुप्ता मानते है कि पेड़ हमारे लिए जीवन देने वाले स्त्रोत भी हैं। इस लिए उनको काटना गलत है। खासकर ऐसे पेड़ जिनके जरिए किसी किस्म की दवाई बन रही है।