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क‌र्फ्यू व लॉकडाउन में फिल्म व थिएटर जगत भी मायूस

क‌र्फ्यू व लॉकडाउन में जहां चारों तरफ बेरोजगारी का बोलबाला है और लोगों को रोजी रोटी के लिए भटकना पड़ रहा है वहीं नाटक व फिल्म जगत भी मायूस है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 May 2020 11:36 PM (IST)Updated: Sun, 24 May 2020 11:36 PM (IST)
क‌र्फ्यू व लॉकडाउन में फिल्म व थिएटर जगत भी मायूस
क‌र्फ्यू व लॉकडाउन में फिल्म व थिएटर जगत भी मायूस

जागरण संवाददाता, पटियाला : क‌र्फ्यू व लॉकडाउन में जहां चारों तरफ बेरोजगारी का बोलबाला है और लोगों को रोजी रोटी के लिए भटकना पड़ रहा है वहीं नाटक व फिल्म जगत भी मायूस है। फिल्म व नाटक कलाकार बीते दो महीने से रिहर्सल करने को भी तरस गए हैं जबकि कैमरा व मंच उनके लिए संजीवनी के बराबर है। कई फ्री लांसर कलाकार ऐसे भी हैं जिनकी वित्तीय हालत भी कमजोर हो चुकी है। कलाकारों ने सरकार के समक्ष आवाज उठाई है कि केंद्र सहित राज्य सरकारें उनके बारे में कुछ विचार करें। जिन लोगों के पास कम काम होता है उनको आने वाले वक्त में अधिक काम देने पर ध्यान दे।

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दर्शक नहीं होंगे तो कसरत बेकार

बुरर्रा और यार अणमुल्ले जैसी पंजाबी फिल्मों में काम कर चुके एक्टर मोहन कंबोज कहते हैं कि घरों में कैद कलाकार भले 18 मई के बाद बाहर निकल आए हैं लेकिन वे मंच पर इकट्ठे नहीं हो सकते, क्योंकि सामने जब तक दर्शक नहीं होंगे तब उनकी कसरत बेकार है।

घर में रहकर वित्तीय हालत हुई कमजोर

पंजाबी फिल्मों के जरिए नाम कमा रहे एक्टर रैविन शैट्टी ने कहा पिछले दो महीने से क‌र्फ्यू व लॉकडाउन के कारण फिल्मों की शूटिग रुक गई है, जिसके चलते कलाकार के लिए घर में बैठना न केवल मुश्किल हो गया है बल्कि वित्तीय हालत भी कमजोर हो रही है। सरकारें उनकी तरफ भी ध्यान दे। थिएटर से जुड़े कलाकारों के लिए भी मुश्किल भरा दौर

नाटकवाला ग्रुप के संचालक थिएटर के नामी कलाकार राजेश शर्मा ने भी थिएटर से जुड़े कलाकारों सहित फ्री लांसर्स के लिए यह समय काफी मुश्किल भरा बताया है। हर कलाकार पंजाबी सभ्याचार से जुड़ी फिल्मों में काम करके अपनी रोजी रोटी चला रहा है, लेकिन दो महीने के लॉकडाउन ने कलाकारों की कमर तोड़कर रख दी है। कलाकारों को एक मंच पर लाने की करेंगे कोशिश

रंगकर्मी विनोद कौशल कहते हैं नाटक के लिए या फिर लोगों के मनोरंजन के लिए कलाकार मंच पर आते ही हैं। अब वे आने वाले समय में कलाकारों के भले के लिए सब को एक मंच पर एकत्रित करने की कोशिश करेंगे ताकि इस तरह के मुश्किल समय के लिए योजना बनाई जाए। कलाकार थिएटर की सेवा भी करते रहें और अपने परिवारों को भी पालते रहें।


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