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सीधी बिजाई से गिरते पानी के स्तर को मिलेगा सहारा

पटियाला पानी को बचाने के लिए सरकारों की एक न सुनने वाले किसान कुदरत की मार के बाद धान की सीधी रोपाई को तैयार हो गए।

By JagranEdited By: Published: Sun, 31 May 2020 12:01 AM (IST)Updated: Sun, 31 May 2020 12:01 AM (IST)
सीधी बिजाई से गिरते पानी के स्तर को मिलेगा सहारा
सीधी बिजाई से गिरते पानी के स्तर को मिलेगा सहारा

गौरव सूद, पटियाला: पानी को बचाने के लिए सरकारों की एक न सुनने वाले किसान कुदरत की मार के बाद धान की सीधी रोपाई को तैयार हो गए हैं। दूसरे राज्यों से आए श्रमिकों के लौटने और स्थानीय श्रमिकों के बढ़े मूल्य को देखते हुए किसानों ने सीधी बिजाई को अपनाना शुरू कर दिया है। पंजाब में 25 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की फसल होती है। धान के सीजन दौरान 14 लाख ट्यूबवेल में से एक दिन में करीब 4.80 लाख मिलियन लीटर पानी प्रयोग होता है। धान की फसल लगने के बाद 15 दिन तक भी इसी मात्रा में पानी खेतों में जमा भी रखा जाता है, जबकि सीधी धान की बिजाई से 30 प्रतिशत पानी की बचत होती है। इस बार किसानों के सीधी बिजाई की तरफ बढ़े रुझान से लाखों हेक्टेयर पानी बचने की भी उम्मीद है। इस बार धान की सीधी बिजाई एक जून से शुरू होनी है। जानकारी के अनुसार पंजाब में हर साल पानी का स्तर 51 सेंटीमीटर नीचे जा रहा है। इस कारण ट्यूबवेल 300 फीट गहरे लगाने पड़ रहे हैं। अगर हालात यही रहे तो भूजल खत्म हो जाएगा और खेती योग्य जमीन भी नहीं रहेंगी। मुख्य खेतबाड़ी अफसर सुरजीत सिंह वालिया ने बताया कि इस बार किसानों में सीधी बिजाई का रुझान बढ़ा है। मजदूरों की कमी को देखते हुए विभाग किसानों को सीधी बिजाई के लिए सब्सिडी पर मशीनें मुहैया करवा रहा है। जिला में धान बिजाई का कुल क्षेत्रफल 2 लाख 56 हजार हेक्टेयर है और इसमें से सिर्फ 250 एकड़ क्षेत्रफल पर सीधी बिजाई होती है। इस साल सीधी बिजाई का क्षेत्रफल 10 हजार एकड़ से बढ़ने का अनुमान है। श्रमिकों के अपने राज्यों के लौटने के कारण धान की बिजाई में परेशानी हो रही है। मजबूरन पहली बार 18 एकड़ में धान की सीधी बिजाई करेंगे, जबकि 12 एकड़ में स्थानीय मजदूरों से बिजाई करवाई जाएगी।

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राजमोहन सिंह कालेका, किसान।


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