फर्द लेकर भी SYL की जमीन पर कब्जा लेने को राजी नहीं किसान
पंजाब सरकार ने भले ही एसवाइएल की जमीन को डिनोटिफाई कर इसे किसानों के नाम लगा दिया है, लेकिन किसान अभी जमीन पर कब्जा लेने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
जेएनएन, पटियाला। एसवाइएल नहर की जमीन डी-नोटिफाई करने से रातोंरात करोड़पति बने किसान सुप्रीम कोर्ट के डर से पसोपेश में फंसे हैं। गत दिवस राजस्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया ने नहर के लिए अधिग्रहित जमीन की मलकीयत किसानों को वापस करने का काम हलका घनौर के गांव कपूरी से शुरू किया था।
मौके पर ही मजीठिया ने आसपास के आधा दर्जन गांवों के 30 किसानों को नहर की जमीन के किए गए इंतकाल के कागजात भी सौंपे। बावजूद इसके कोई किसान नहर की जमीन पर पैर रखने तक नहीं गया है। यहां तक कि कुछ किसान सुप्रीम कोर्ट के फैसले के डर से इंतकाल के कागजात तक नहीं लेने आए, जिन्हें घर जाकर कागजात दिए गए।
सरकार ने पटियाला, मोहाली, फतेहगढ़ साहिब व रूपनगर जिले के 202 गांवों के 14,308 किसानों की 4261 एकड़ जमीन का इंतकाल उनके नाम कर दिया है। राजस्व मंत्री ने एलान कर दिया है कि डीसी व विधायक कैंप लगाकर किसानों को इंतकाल के कागजात सौंपेंगे, लेकिन नहर की जमीन पर फिलहाल किसान कब्जा लेने को तैयार नहीं हैं। गांव कपूरी, कमालपुर, फरीदपुर जट्टां व सरारा कलां के किसानों ने राजस्व मंत्री के हाथों इंतकाल लेने के बावजूद अब तक कब्जा लेने को आगे नहीं आए हैं। कपूरी गांव के किसान जसविंदर सिंह का कहना है कि नहर की जमीन की निशानदेही तक नहीं हुई है, इस कारण भी कब्जा लेने में समस्या है।
गिनती के किसान तहसील पहुंचे फर्द लेने
सरकार ने घोषणा कर रखी है कि नहर की जमीन किसानों के नाम इंतकाल करने के बाद फर्द के कागजात भी मुफ्त में दिए जाएंगे, लेकिन वीरवार को गिनती के किसान फर्द के कागजात लेने राजपुरा तहसील पहुंचे। एसडीएम हरप्रीत सिंह सूदन ने बताया कि कुछ किसान फर्द लेने आए थे, जबकि जिले के 46 गांवों की 1528 एकड़ जमीन किसानों को वापस की गई है।
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