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ईको फ्रेंडली हैं राजस्थानी खड़िया मिट्टी से बने गणेश

राजेश भट्ट, पटियाला मुंबई से चलकर गणेश महोत्सव अब देश के कोने-कोने तक पहुंच चुका ह

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 Aug 2017 03:01 AM (IST)Updated: Fri, 25 Aug 2017 03:01 AM (IST)
ईको फ्रेंडली हैं राजस्थानी खड़िया मिट्टी से बने गणेश
ईको फ्रेंडली हैं राजस्थानी खड़िया मिट्टी से बने गणेश

राजेश भट्ट, पटियाला

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मुंबई से चलकर गणेश महोत्सव अब देश के कोने-कोने तक पहुंच चुका है। उत्तर भारत में भी लोग गणेश महोत्सव को धूमधाम से मनाने लगे हैं और गणेश जी को अपने घरों में विराजमान करने लगे हैं। जैसे-जैसे गणेश महोत्सव लोकप्रिय होता जा रहा है वैसे-वैसे नदी-नहरों के पानी में प्रदूषण भी हो रहा है। मूर्तियां प्लास्टर ऑफ पेरिस की बनाई जाती रही हैं। जिन्हें विसर्जन करने पर नदियों के पानी में अचानक टीडीएस स्तर बढ़ जाता है, लेकिन अब गणेश की मूर्तियां बनाने वाले कारीगरों ने पीओपी के बजाय राजस्थानी खड़िया मिट्टी से मूर्तियां बनानी शुरू कर दी। मूर्तिकारों का दावा है कि राजस्थानी खड़िया मिट्टी व जूट से बनी मूर्तियां ईको फ्रेंडली हैं और वह विसर्जित करने पर पानी को प्रदूषित नहीं करेंगी। खास बात यह है कि इन मूर्तियों की कीमत में भी ज्यादा अंतर नहीं है।

सर¨हद रोड पर मूर्तियां बना रहे मूर्तिकार आशाराम का कहना है कि पिछले साल पीओपी की मूर्तियों को लेकर लोगों में काफी असमंजस रहा है। लोग चिकनी मिट्टी की मूर्ति चाहते थे, लेकिन चिकनी मिट्टी की मूर्ति बनाना और उसे दस दिन तक संरक्षित रखना संभव नहीं है। उन्होंने बताया कि मिट्टी की मूर्ति एक तो दोगुने रेट में तैयार होती है दूसरा जैसे जैसे चिकनी मिट्टी सूखने लगती है वैसे वह फटने लगती है। इसकी वजह से मूर्ति खंडित हो जाती है। जिसे शुभ नहीं माना जाता है। उन्होंने बताया कि पिछले सीजन के बाद जब वह राजस्थान गए तो वहां की खड़िया मिट्टी और जूट से मूर्तियां बनानी शुरू की। जिसके अच्छे रिजल्ट सामने आए। उन्होंने बताया कि इस बार उन्होंने खड़िया मिट्टी और जूट से ही मूर्तियों का निर्माण किया है। उन्होंने बताया कि पीओपी को सिर्फ फिनि¨शग के लिए उपयोग किया है जिसकी मात्रा बहुत कम है। उन्होंने बताया कि पीओपी से बनी मूर्तियां जहां पानी में घुलने में 10 दिन से ज्यादा का वक्त लेती हैं, वहीं यह मूर्तियां दो से तीन दिन में पानी में घुल जाएंगी।

खड़िया मिट्टी से नहीं बढ़ेगा पानी में प्रदूषण

थापर यूनिवर्सिटी में केमिकल रिसर्च स्कॉलर मुकेश कुमार का कहना है कि पीओपी में सल्फेट भी होता है। अगर इसे पानी में घोला जाता है तो इससे पानी का टीडीएस स्तर बढ़ जाता है। वहीं उन्होंने बताया कि खड़िया मिट्टी में सिलिका और कैल्शियम की मात्रा होती है जो कि पानी में घुलते ही नीचे बैठ जाती है। इससे पानी प्रदूषित नहीं होता है।


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