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डीटीओ ऑफिस से कल से ट्रांसपोर्ट सोसायटी आउट

राज पारचा, पटियाला मुख्यमंत्री कैप्टन अम¨रदर ¨सह ने सत्ता संभालते ही अपना प्रभाव दिखाते हुए ड

By JagranEdited By: Published: Thu, 30 Mar 2017 09:27 PM (IST)Updated: Thu, 30 Mar 2017 09:27 PM (IST)
डीटीओ ऑफिस से कल से ट्रांसपोर्ट सोसायटी आउट
डीटीओ ऑफिस से कल से ट्रांसपोर्ट सोसायटी आउट

राज पारचा, पटियाला

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मुख्यमंत्री कैप्टन अम¨रदर ¨सह ने सत्ता संभालते ही अपना प्रभाव दिखाते हुए डीटीओ के पद खत्म कर दिए हैं। वहीं साथ ही ट्रांसपोर्ट विभाग के अधीन ठेके पर काम करने वाली पंजाब स्टेट ट्रांसपोर्ट सोसायटी को 31 मार्च तक भंग करने का आदेश जारी कर दिया है। सोसायटी भंग करने की सूचना के बाद डीटीओ दफ्तर में हड़बड़ाहट का माहौल बना हुआ है और डीटीओ कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों को अपनी नौकरी की ¨चत सताने लगी है। डीटीओ दफ्तर में 6 ट्रांसपोर्ट सोसायटी चार सरकारी कर्मचारी है, जबकि प्रदेश में 183 कर्मी हैं। इसके अलावा स्मार्ट चिप कंपनी के कर्मी काम कर रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार सोसायटी के 183 कर्मी पूरे प्रदेश के डीटीओ ऑफिस में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इन कर्मचारियों द्वारा ई गर्वेनेस सारा काम किया जाता है। क्योंकि डीटीओ विभाग का सारा काम कंप्यूटराइज्ड हो चुका है। विभाग के बाबू कंप्यूटर पर काम करने में लगभग अनाड़ी हैं। इस लिए उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। सोसायटी के कर्मचारी आए दिन किसी न किसी विवाद के चलते मीडिया की सुर्खियों में रहने का ही बड़ा कारण माना जा रहा है कि नई बनी सरकार ने सबसे पहले जनता से जुड़ी परेशानी को खत्म करने की पहल की। विभागीय अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार ट्रांसपोर्ट सोसायटी के समूह कर्मचारी ट्रांसपोर्ट सेक्रेटरी से मिलकर उन्हें रखने की मांग को लेकर पत्र सौंपा जा चुका है। अगर 31 मार्च यानि आज सरकार इन कर्मचारियों की तरफ नरम हो जाती है तो ठीक, नहीं तो इन कर्मियों का सारा काम बाबुओं को करना होगा, जो इनके लिए करना बेहद मुश्किल साबित होगा।

सरकारी आदेशों का पालन करना जरूरी : डीटीओ

डीटीओ डॉ. दीपक भाटिया का कहना है कि सरकार के आदेशों की पालन करना हमारी ड्यूटी में शामिल है। इसलिए ट्रांसपोर्ट सोसायटी के समूह कर्मचारियों को 31 के बाद बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। उनका कहना है कि बाकी अगर सरकार चाहेगी तो उन्हें दोबारा रखा जा सकता है। उन्होंने माना कि विभागीय बाबू कंप्यूटर का ज्ञान कम ही रखते हैं। इस लिए उन्हें परेशानी पेश आना लाजमी है।


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