भगवान सूर्य देव को जल अर्पित कर की आराधना
मंगलवार शाम को अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य और बुधवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ पर्व संपन्न होगा। मंगलवार को दोपहर तीन बजे से पूजा शुरू हुई और सूर्यास्त होने तक पानी में ही रहकर पूजा की। इस बार छठ पूजा का आयोजन डीएमडब्ल्यू के अलावा फोकल प्वाइंट एवं बाजवा कॉलोनी में किया गया।
जागरण संवाददाता.पटियाला : मंगलवार शाम को अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य और बुधवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ पर्व संपन्न होगा। मंगलवार को दोपहर तीन बजे से पूजा शुरू हुई और सूर्यास्त होने तक पानी में ही रहकर पूजा की। इस बार छठ पूजा का आयोजन डीएमडब्ल्यू के अलावा फोकल प्वाइंट एवं बाजवा कॉलोनी में किया गया। इस दौरान जानकारी देते हुए बिहार जन कल्याण समिति के मुख्य सलाहकार एके ¨सह व महासचिव देव प्रकाश ने बताया कि लोक आस्था के महापर्व छठ का ¨हदू धर्म में अलग महत्व है। यह एकमात्र ऐसा पर्व है जिसमें न केवल उदयाचल सूर्य की पूजा की जाती है बल्कि अस्ताचलगामी सूर्य को भी पूजा जाता है। महापर्व के दौरान ¨हदू धर्मावलंबी भगवान सूर्य देव को जल अर्पित कर आराधना करते हैं। बिहार में इस पर्व का खास महत्व है। मान्यता है कि छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की अराधना की जाती है। बीते 30 सालों से झील में होने वाली छठ पूजा में बिहार, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों के लोग शामिल होते हैं।
इस बार श्रद्धालुओं में 25 से 30 प्रतिशत कमी
अमृतसर में हुए रेल हादसे के दौरान लोगों की जान जाने के कारण इस बार छठ पूजा को लेकर डीजल माइर्नाइजेशन लोकोमोटिव वर्कशॉप प्रशासन ने सख्ती करते हुए परिसर के भीतर छठ पूजा करने के लिए केवल रेलवे एवं डीएमडब्ल्यू मुलाजिमों के परिवारों को मंजूरी दी है, लेकिन फिर भी कुछ बाहरी लोगों को पूजा में शामिल होने की मंजूरी दी थी। डीएमडब्ल्यू प्रशासन के इस फैसले के बाद डीएमडब्ल्यू में हुई छठ पूजा में शामिल होने वाले श्रद्धालूओं में 25 से 30 प्रतिशत कमी रही।
अगले साल किसी सार्वजनिक स्थल पर होगा आयोजन
बाहरी लोगों की अगुवाई कर रहे पवन कुमार मंडल ने बताया कि इस बार छठ पूजा के लिए काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा। इस बार छठ पूजा के लिए फोकल प्वाइंट एवं बाजवा कॉलोनी में अस्थाई तौर पर इंतजाम किया है। अगले साल से किसी अन्य जनतक स्थान पर पूजा का आयोजन करेंगे ताकि रेलवे व डीएमब्व्ल्यू के अलावा बाहरी लोग वहां पर आकर पूजा कर सकें। अगर वहां पर रेलवे व डीएमडब्ल्यू मुलाजिम भी आएंगे तो उनका भी स्वागत किया जाएगा।