कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा- अकाली दल की भाजपा के साथ अंदरखाते अब भी मिलीभगत
पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि अकाली दल ने भले ही भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया हो लेकिन दोनों की अभी भी अंदरखाते मिलीभगत है। कहा कि हरसिमरत कौर बादल कृषि कानूनों को लेकर संसद में विधेयक लाने में शामिल थीं।
जेएनएन, पटियाला। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि चाहे अकाली दल ने दबाव के चलते राजग से नाता तोड़ा है, लेकिन अंदरखाते उसकी भाजपा के साथ मिलीभगत अब भी जारी है। हर कोई जानता है कि किसके साथ कौन मिला हुआ है। यह अकाली ही हैं जो कि भाजपा के साथ मिले हुए हैं।
अकाली दल की ओर से कृषि कानूनों को लेकर कैप्टन की केंद्र सरकार के साथ मिलीभगत के आरोप को खारिज करते हुए कैप्टन ने कहा कि हरसिमरत बादल कृषि कानूनों को लेकर संसद में विधेयक लाने में शामिल थीं। जब केंद्र सरकार ने इन विधेयकों को केंद्रीय कैबिनेट में पास किया तब भी हरसिमरत वहीं मौजूद थीं। कैप्टन रविवार को यहां विभिन्न विकास कार्यों का शिलान्यास करने के पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे।
कैप्टन ने कहा कि कृषि सुधार कानून को लेकर लड़ाई केंद्र सरकार के साथ है। किसानों को पंजाब के बजाय दिल्ली में धरने देने चाहिए, क्योंकि पंजाब में धरनों के कारण आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं। राज्य सरकार किसान संगठनों के साथ बातचीत कर रही है, जिससे इस समस्या पर काबू पाया जा सके। राज्य में केवल एक दिन लायक कोयला स्टाक में हैैं और केवल 10 फीसद यूरिया बचा है। नेशनल ग्रिड से बिजली खरीदने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है, परंतु इस खरीद के लिए राज्य के पास पैसा नहीं है।
विदेशी मुद्रा उल्लंघन के मामले में ईडी की ओर से रणइंदर सिंह को तलब किए जाने के मामले पर उन्होंने कहा कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब उनके किसी पारिवारिक सदस्य को तलब किया गया हो। जबकि नवजोत सिंह सिद्धू के अलग चलने के सवाल पर कैप्टन ने हैरानी जताते हुए पूछा, नवजोत सिद्धू को दरकिनार किया गया है? कौन कहता है कि वह (सिद्धू) अलग चल रहे हैैं?
होशियारपुर मामले में एक सप्ताह में चालान पेश करने की बात दोहराई
होशियारपर दुष्कर्म व हत्या मामले मेंï कैप्टन ने कहा कि हाथरस मामलो में उतर प्रदेश सरकार की ढीली कार्रवाई के उलट पंजाब सरकार ने तुरंत कार्रवाई की है। इस मामले का चालान इसी सप्ताह अदालत में पेश कर दिया जाएगा। आरोपित गिरफ्तार कर लिए गए हैैं, जबकि हाथरस मामले में ऐसा नहीं हुआ। यही कारण है कि राहुल गांधी को पीडि़त परिवार को इंसाफ दिलाने के लिए हाथरस जाना पड़ा और होशियारपुर जाने की जरूरत नहीं पड़ी।