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समाजसेवियों के सहयोग से पूरी हो रही रक्त की कमी

पटियाला कोरोना महामारी के कारण राजिदरा अस्पताल के ब्लड बैंक में चल रही रक्त की कमी को शहर की समाजसेवी संस्थाओं के सहयोग से पूरा किया जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 14 Jun 2020 12:28 AM (IST)Updated: Sun, 14 Jun 2020 12:28 AM (IST)
समाजसेवियों के सहयोग से पूरी हो रही रक्त की कमी
समाजसेवियों के सहयोग से पूरी हो रही रक्त की कमी

जागरण संवाददाता, पटियाला : कोरोना महामारी के कारण राजिदरा अस्पताल के ब्लड बैंक में चल रही रक्त की कमी को शहर की समाजसेवी संस्थाओं के सहयोग से पूरा किया जा रहा है। शहर की समाजसेवी संस्थाएं जहां रक्त की कमी को पूरा कर रही हैं। वहीं, उनके साथ जुड़े रक्तदानी स्वैच्छा से रक्तदान कर रहे हैं, जिसके चलते राजिदरा अस्पताल के ब्लड बैंक में रक्त की कमी दूर हो रही है। उधर, ब्लड बैंक के इंचार्ज डॉ. आरके कुंडल ने कहा कि आजकल कैंप लग रहे हैं, जिस कारण रक्त की कमी नहीं है। इससे पहले कोरोना महामारी के कारण कैंप कम लग रहे थे। ब्लड बैंक में रोजाना 60 से 70 यूनिट रक्त की जरूरत

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ब्लड बैंक में रोजाना 60 से 70 यूनिट रक्त की जरूरत होती है, जिसमें से 15-20 यूनिट रक्त थैलीसीमिक बच्चों को दिया जाता है। इसके अलावा 10-15 यूनिट रक्त गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी के दौरान इस्तेमाल होता है और बाकी 30-35 यूनिट इमरजेंसी में आने वाले सड़क हादसे अथवा आपरेशन के दौरान मरीजों को जरूरत पड़ती है। चूंकि आजकल कोरोना संकट के कारण रक्तदान कैंप काफी कम लग रहे हैं तो शहर की समाजसेवी संस्थाएं इसमें अपना अहम रोल अदा कर रही हैं। उनमें पटियाला चिल्ड्रन थैलीसीमिक वेलफेयर एसोसिएशन, मिशन लाली हरियाली, वंदे मातरम् दल के अलावा श्रीराधा संकीर्तन मंडल संस्था शमिल है। 72 बार किया है रक्तदान : कर्मजीत

ठेकेदार कर्मजीत सिंह 20 सालों से रक्तदान कर रहे हैं और वे 72 बार रक्तदान कर चुके हैं। कर्मजीत ने बताया कि 20 साल पहले उन्होंने अपने बच्चे के लिए रक्तदान किया था, तभी से रक्तदान करने का निश्चय किया। थैलीसीमिक बच्चे कमल जुनेजा के लिए पहली बार रक्तदान किया और अब वे जैसमीन बच्ची के लिए रक्तदान कर रहे हैं। ऐसा करने से मन को बहुत शांति मिलती है। 25 बार किया रक्तदान : गुरबचन

मिशन लाली हरियाली संस्था के साथ जुड़े ठेकेदार गुरबचन सिंह सात साल से रक्तदान कर रहे हैं। अब तक वे 25 बार रक्तदान कर चुके हैं और आगे भी रक्तदान करते रहेंगे। उन्होंने भी थैलीसीमिक बच्चों के लिए रक्तदान करना शुरू किया था।


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