सेहत मंत्री के घर का घेराव करने पहुंची आशा वर्कर्स
रेगुलर वेतन और और अन्य मांगों को लेकर आशा वर्कर और फैसिलिटेटर यूनियन द्वारा मंगलवार को नेहरू पार्क में रोष रैली की।
जागरण संवाददाता.पटियाला : रेगुलर वेतन और और अन्य मांगों को लेकर आशा वर्कर और फैसिलिटेटर यूनियन द्वारा मंगलवार को नेहरू पार्क में रोष रैली की। रोष रैली के बाद यूनियन सदस्यों ने सेहत मंत्री ब्रह्मा मो¨हदरा के आवास की ओर रोष मार्च किया जिन्हें शेरांवाला गेट के पास पुलिस ने रोक लिया और एसपी सिटी केसर ¨सह ने 14 नवंबर को सेहत मंत्री के साथ पैनल मी¨टग का भरोसा देकर प्रदर्शन खत्म करवा दिया। बता दें कि आशा वर्कर्स पटियाला में आर पार की लड़ाई के तहत पक्का मोर्चा लगाकर प्रदर्शन करने के मन से आई थी लेकिन पैनल मी¨टग तक पक्का मोर्चा मुलतवी कर दिया गया है। यूनियन नेताओं ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनकी मांगों का पैनल मी¨टग में कोई हल न निकला तो वे दोबारा सेहत मंत्री आवास का घेराव करेंगी।
रैली को संबोधित करते डीएमएफ के नेता प्रकाश ¨सह, विक्रमदेव ¨सह और प्रवीण शर्मा ने कहा कि पंजाब की सरकार महिलाओं का जीवन स्तर ऊंचा उठाने पर अधिकार देने के खोखले दावे कर रही हैं, लेकिन कानून की धज्जियां उड़ाकर नाममात्र कमीशन पर काम करती आशा वर्कर्स किसी भी सरकार को नजर नहीं आती। रैली को संगठन की नेता करमजीत कौर मुक्तसर, शकुंतला देवी, ¨शदर कौर ब¨ठडा, राज¨वदर कौर, सरंजना ब¨ठडा, रजनी घरोटा, मनदीप कौर संधू, रणजीत कौर दुलारी, सरबजीत कौर, लख¨वदर कौर ने संबोधित करते आरोप लगाया कि केंद्र और पंजाब सरकार का व्यवहार आशा वर्कर विरोधी है। उन्होंने कहा कि जब वो वेतन वृद्धी की मांग को लेकर सरकार और अधिकारियों के पास जाते हैं तो उनकी बात सुनने की बजाए सेवा भावना के साथ काम करने की सलाह दी जाती है। जबकि नेता अपने आप को लोगों के सेवक कहलवाने के बावजूद भी लाखों रुपए सरकारी खजाने में से तनख्वाहें भत्तों के रूप में लेते हैं। जत्थेबंदी की तरफ से सांझे अध्यापक मोर्चे के नेतृत्व में अध्यापकों के संघर्ष की भी हिमायत करने का ऐलान किया गया।
यूनियन की मांगें
-आशा वर्करों को कम से कम वेतन के कानून में लाकर प्रति महीना 8858 रुपये और फैसिलिटेटर को आंगनबाड़ी सुपरवाइजरों का स्केल दिया जाए।
- वर्करों को विलेज हेल्थ सेनिटेशन समितियों के घेरे से बाहर निकाल कर पक्का किया जाए।
- आशा वर्करों और फैसिलिटेटरों का 2 लाख रुपये का मुफ्त बीमा किया जाए।
- आशा वर्कर्स और फैसिलिटेटरों को वर्दी और धुलाई भत्ता दिया जाए
- आशा वर्करों की छंटनी बंद की जाए और निकालीं गई वर्करों को बहाल की जाए।
- आशा वर्कर या फैसिलिटेटर की मौत के उपरांत परिवार को एक्सग्रेशिया अनुदान और एक मेंबर को तरस आधारित नौकरी दी जाए।