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पंजाब के एक और सपूत ने दी मातृभमि के लिए जान, पटियाला के राजविंदर पुलवामा में बलिदान

पंजाब कके एक और सपूत ने मातृभूमि पर अपना जीवन बलिदान कर दिया है। पटियाला के राजविंदर सिंह पुलवामा में बलिदान हो गए हैं। वह आतंकियोंं से लोहा लेते हुए गोलियों के शिकार हो गए।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 07 Jul 2020 11:56 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2020 11:56 PM (IST)
पंजाब के एक और सपूत ने दी मातृभमि के लिए जान, पटियाला के राजविंदर पुलवामा में बलिदान
पंजाब के एक और सपूत ने दी मातृभमि के लिए जान, पटियाला के राजविंदर पुलवामा में बलिदान

समाना (पटियाला), जेएनएन। पंजाब के एक और सपूत ने मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्‍योछावर कर दिए हैं। समाना के गांव दोदड़ा के 29 वर्षीय नायक राजविंदर सिंह मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों से मुकाबला करते हुए बलिदान हो गए। 15 अक्टूबर, 1990 को जन्मे राजङ्क्षवदर 24 मार्च, 2011 को सेना की 24 पंजाब रेजीमेंट में भर्ती हुए थे। यह रेजीमेंट अभी नागालैंड में तैनात है, लेकिन राजविंदर  ने अपनी इच्छा से 53 राष्ट्रीय राइफल्स के काउंटर टेररिस्ट ऑपरेशन में पोस्टिंग करवाई थी।

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बलिदानी राजविंदर सेना की 'घातक प्लाटून' में भी शानदार सेवाएं दे चुके थे। यह प्लाटून शारीरिक और मानसिक तौर पर सबसे फिट सिपाहियों की यूनिट है। पुलवामा के गांव गोसू में मंगलवार सुबह चलाए गए सर्च ऑपरेशन के दौरान आतंकियों से उनकी टीम की मुठभेड़ हो गई। इसमें राजविंदर सिंह को भी गोलियां लगीं।

शाम को राजविंदर सिंह के बलिदान की खबर गांव पहुंची तो शोक की लहर दौड़ गई। बलिदानी राजविंदर की पार्थिव देह बुधवार शाम तक पैतृक गांव पहुंचेगी। उधर, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ऐलान किया है कि शहीद राजविंदर के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी व 50 लाख रुपये आर्थिक मदद दी जाएगी।

पिता बोले- देश के लिए कुर्बान हुआ बेटा, हमें गर्व

राजविंदर के परिवार के पास महज डेढ़ एकड़ जमीन है। पिता अवतार सिंह ने बताया कि जमीन कम होने के कारण गुजारा बहुत मुश्किल से चलता है। सेना में भर्ती होने के बाद राजविंदर सिंह कहता था 'बापू तुसीं चिंता न करो, मैं मेहनत दी कमाई करके पिंड च होर जमीन खरीदांगा।' (बापू आप चिंता मत करो, मैं मेहनत की कमाई से गांव में और जमीन खरीदूंगा।) लेकिन, उनको क्या पता था कि उसका यह सपना कभी पूरा नहीं हो पाएगा।

बलिदानी राजविंदर का एक और छोटा भाई भी है जो खेतीबाड़ी करता हैं। राजविंदर की शादी 2013 में हरियाणा के गांव करा साहिब की गुरप्रीत कौर से हुई थी। बीती 27 जनवरी को ही छुट्टी पर अपने गांव आए थे। एक महीना वह घर पर ही रहे थे।

पिता ने कहा कि राजविंदर शुरू से ही देश के लिए वह कुछ कर जाना चाहता था, उसी कारण घातक प्लाटून यूनिट मेंं ड्यूटी की। उसके बाद अपनी रेजीमेंट को छोड़ जेएंडके में काउंटर टेररिस्ट ऑपरेशन में पोस्टिंग करवाई। उनका पुत्र देश के लिए बलिदान करके गया है, जिस पर उन्हें गर्व हैं। जिस बहादुरी से उसने आतंकवादियों का मुकाबला किया, उससे उसने गांव समेत पंजाब का नाम रोशन कर दिया।

उन्होंने कहा कि उनका बेटा 30 साल का हो गया था लेकिन उसका कोई बच्‍चा नहीं था। वह जब भी छुट्टी आता तो उनके साथ ही सोता था। शहीद की मां महिंदर कौर और बड़े भाई बलवंत सिंह ने कहा कि उनको तो इस बात पर यकीन नहीं आ रहा कि उनका राजविंदर सिंह बलिदान हो गया है।

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पंजाब सरकार ने कहा-पूरा सूबा शहीद के परिवार के साथ

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बलिदानी के परिवार को विश्वास दिलाया कि सूबा सरकार उनकी हरसंभव मदद और सहयोग करेगी। पटियाला की सांसद परनीत कौर, कैबिनेट मंत्रियों ब्रह्म मोहिंदरा और साधू सिंह धर्मसोत ने शहीद के परिवार से हमदर्दी जताई।

उन्‍होंने कहा कि इस दुख की घड़ी में वह खुद और उनके परिवार समेत सारा पंजाब और हमारा देश शहीदों के परिवार के साथ कंधे से कंधा जोड़कर खड़ा हैं। डीसी कुमार अमित ने बताया कि वह भारतीय फौज के साथ संपर्क कर रहे हैं और उसकी पार्थिव देह के गांव दोदड़ा पहुंचने पर शहीद की मृतक देह का पूरे मान-सम्मान के साथ संस्कार किया जाएगा।


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