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एटीएम से कैश निकालने के बाद मशीन हिला 35 लाख की करता था ठगी

पटियाला ऑनलाइन फ्राड पासवर्ड लेकर खाते से पैसे उड़ाने एटीएम कार्ड बदलकर धोखाधड़ी करने के मामले अक्सर सामने आते हैं लेकिन पटियाला पुलिस में एक अनोखा मामला सामने आया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Feb 2020 12:11 AM (IST)Updated: Thu, 13 Feb 2020 06:13 AM (IST)
एटीएम से कैश निकालने के बाद मशीन हिला 35 लाख की करता था ठगी
एटीएम से कैश निकालने के बाद मशीन हिला 35 लाख की करता था ठगी

जागरण संवाददाता, पटियाला : ऑनलाइन फ्राड, पासवर्ड लेकर खाते से पैसे उड़ाने, एटीएम कार्ड बदलकर धोखाधड़ी करने के मामले अक्सर सामने आते हैं, लेकिन पटियाला पुलिस में एक अनोखा मामला सामने आया है। उत्तर प्रदेश के बैंक खाता धारक ने जिले के विभिन्न एटीएम से कैश निकालने के बाद मशीन को इस कद्र हिलाया कि पैसे तो मिल गए, लेकिन खाते से पैसे नहीं कटते थे। यह फर्जीवाड़ा एसबीआइ बैंक के एटीएम में साल 2018-2019 के दौरान हुआ था। जुलाई 2019 को पटियाला पुलिस में शिकायत पहुंची, जिसकी बारीकी से जांच की गई। इसके बाद उक्त मामले का पर्दाफाश हुआ और कोतवाली थाना पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। यह मामला बैंक के मैनेजर विक्रमजीत सिंह की शिकायत पर विशाल सिंह निवासी खापरेला बाजार चकसेनपुर, बीकापुर, फैजाबाद (यूपी) व अनजान लोगों पर दर्ज हुआ है। थाना कोतवाली इंचार्ज सुखदेव सिंह ने कहा कि आरोपित का खाता यूपी का है, जिसने पटियाला के एटीएम से पैसे निकाले हैं। कुल 35 लाख रुपये की ठगी हुई, अब आरोपित को गिरफ्तार करने के बाद पूरे मामले की जानकारी मिलेगी।

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जांच में अब तक लगा पता

पुलिस के अनुसार आरोपित का खाता यूपी के बैंक में है। इस खाताधारक ने पटियाला के विभिन्न इलाकों में जाकर एसबीआइ बैंक के एटीएम से पैसे निकाले। पैसे निकालने के लिए मशीन में अमाउंट फीड की जाती थी, जिसके बाद कैश बाहर आते ही मशीन व तारों को हिला दिया जाता था। मशीन हिलने की वजह से लिक टूटने पर खाते से पैसे निकलते नहीं थे, लेकिन मशीन से कैश निकल जाता था। आरोपित ने दस हजार से लेकर 40 हजार रुपये की ट्रांजेक्शन अलग-अलग एटीएम में की है। जिसका पता चलने के बाद बैंक अधिकारियों ने पुलिस को शिकायत की थी। जांच के दौरान मशीन की सीसीटीवी फुटेज, कैश ट्रांजेक्शन की डिटेल्स का मिलान किया गया तो इस दौरान पाया कि जिस समय अमाउंट निकला, उस समय एक बैंक खाता का लिक रिकार्ड में नहीं मिला। इस पड़ताल के बाद ही आरोपित की पहचान की गई है, लेकिन ठगी का पूरा पता आरोपित की गिरफ्तारी के बाद चल पाएगा।


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