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कठुआ दुष्कर्म मामला : गवाह फाेटोग्राफर को बताना होगा किस कैमरे से कहां के फोटो खींचे

पठानकोट की जिला एवं सत्र अदालत ने कठुआ मामले में गवाह फाटोग्राफर को यह बताने को कहा है कि उसने किस कैमरे से और किन-किन जगहों के फोटो खींचे। इसके लिए शपथ पत्र देने को कहा गया।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 04 Aug 2018 10:55 PM (IST)Updated: Sun, 05 Aug 2018 05:37 PM (IST)
कठुआ दुष्कर्म मामला : गवाह फाेटोग्राफर को बताना होगा किस कैमरे से कहां के फोटो खींचे
कठुआ दुष्कर्म मामला : गवाह फाेटोग्राफर को बताना होगा किस कैमरे से कहां के फोटो खींचे

जेएनएन, पठानकोट। कठुआ दुष्कर्म एवं हत्या मामले में गवाह फोटाेग्राफर को बताना होगा कि उसने किस कैमरे से फोटो खींचे। जिला व सेशन कोर्ट ने इस मामले में 22वें गवाह फोटोग्राफर को आदेश दिया कि वह खींचे गए फोटो के संबंध में सोमवार को शपथ पत्र पेश करे। शपथ पत्र में फोटोग्राफर को यह जानकारी देनी होगी कि फोटो किस कैमरे से खींचे गए हैं और फोटो किस-किस जगह के हैं।

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शनिवार को भी पठानकोट की जिला एवं सत्र अदालत में कठुआ मामले की सुनवाई हुई। अदालत में अारोपितों को पेश किया गया और गवाहों के बयान पर बचाव पक्ष ने जिरह की। इसके अलावा, अभियोजन पक्ष ने शनिवार को 23वें गवाह पटवारी को अदालत में पेश किया।

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सुनवाई के दौरान, बचाव पक्ष की ओर से वकील एके साहनी ने पटवारी की गवाही और सप्लीमेंट्री चार्जशीट पर सवाल खड़े किए। एके साहनी ने बताया कि घटनास्थल का वास्तविक नक्शा 3 अप्रैल को पटवारी ने क्राइम ब्रांच के सामने बनाया था। 9 अप्रैल को पहली चार्जशीट के साथ यह नक्शा कोर्ट में जमा करा दिया गया था।

सप्लीमेंट्री गवाह पटवारी के बयान पर बचाव पक्ष ने उठाए सवाल, बिना वास्तविक नक्शे के कैसे लिए बयान

साहनी ने कहा कि सप्लीमेंट्री चार्जशीट में पटवारी के जो बयान दर्ज हैं वे 26 जुलाई के बताए गए हैं। क्राइम ब्रांच के अनुसार, पटवारी ने ये बयान उन नक्शों के आधार पर दिए हैं जो उसने जुर्म वाले स्थान को अंकित करने के लिए बनाए थे। जब वास्तविक नक्शा उनके पास नहीं था तो 26 जुलाई को पटवारी ने क्राइम ब्रांच को किस नक्शे के आधार पर बयान दिए।

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साहनी ने कहा कि अगर क्राइम ब्रांच के पास नक्शा नहीं था तो क्या नक्शे की फोटो कॉपी पर पटवारी के बयान लिए गए। या फिर क्राइम ब्रांच ने अपनी मर्जी से अन्य नक्शा बनाकर मामले की री-इन्वेस्टीगेशन कर दी। री-इन्वेस्टीगेशन के लिए हाई कोर्ट की इजाजत लेनी जरूरी है।

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