कथा सुनने मिलती है मन को शांति : संत
श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही प्राणी का कल्याण संभव है।
संवाद सहयोगी, घरोटा
श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही प्राणी का कल्याण संभव है। यह बात संत हरि दास ने व्यक्त की। वह लाल द्वारा मंदिर के तत्वाधान से घरोटा में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में महामंडलेश्वर 1008 स्वामी राम दास महाराज बहरामपुर विशेष तौर पर उपस्थित थे। कथा वाचक संत हरि दास महाराज ने ध्रुव चरित्र का विस्तार पूर्वक वर्णन किया। उन्होंने कहा कि जब तक जीव माता के गर्भ में रहता है। जब तक बाहर आने को छटपटाता है। उस समय जीव बाहर निकलने के लिए ईश्वर से अनेक प्रकार के वादे करता है। मगर जन्म लेने के उपरांत वह सांसारिक मोह माया में फंस कर भगवान से किए वादे को भूल जाता है। जिसके फलस्वरूप उसे 82 लाख योनी भोगनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति अपने जीवन में जिस प्रकार के कर्म करता है। उसी के अनुरूप उसे मुत्यु मिलती है। भगवान ध्रुव की साधना, उनके सत्कर्म तथा ईश्वर के प्रति अटूट श्रद्धा के परिणाम स्वरूप ही उन्हें बैकुंठ लोक प्राप्त हुआ। संत हरि दास ने कहा कि मानव तन धारण करने वाले बहुत ऐसे ऋषि, मुनि और पुण्यात्मा है जिनका नाम लेकर हम खुद को धन्य समझते है। वह लोग भक्ति के माध्यम से आज अमरत्व की प्राप्ति कर समाज के लिए प्रेरणा स्त्रोत बने हुए है। उन्होंने कहा कि जो मनुष्य इस ¨जदगी में मुक्ति पाना चाहता है। उसे एक जन्म में हजारों वर्षो का काम कर लेना होगा। जैसे स्वप्न में मान- अपमान, मेरा- तेरा, अच्छा- बुरा दिखता है। जाग्रित अवस्था में उसकी सत्यता नहीं रहती। वैसे ही इस जगत का भी अनुभव करना होगा। स्वामी जी ने इस से पहले सभी भक्तजनों को व्यसन व नशे इत्यादि से दूर रह कर सात्विक जीवन यापन करने को आह्वान किया। कथा सुनने से मन को शांति मिलती है। इस मौके पर यजमान कैलाश शर्मा, पूर्व चेयरपर्सन ललिता शर्मा, जिला परिषद् सदस्य कमलेश कुमारी, किरणा चौहान, सुमन जोशी, स¨वद्र पटवारी, विनय कांत शर्मा, नंद लाल, कैप्टन पुरुषोत्तम, सुभाष ¨सह, अजीत ¨सह, जो¨गद्र ढ़ाकी, सदर ¨सह आदि उपस्थित थे।