हारे उम्मीदवारों को किया जा रहा एडजेस्ट
हाल ही में हुए पंचायत चुनाव में वैसे तो सत्ता पक्ष से संबंधित उम्मीदवार ज्यादा संख्या में जीते हैं।
हाल ही में हुए पंचायत चुनाव में वैसे तो सत्ता पक्ष से संबंधित उम्मीदवार ज्यादा संख्या में जीते हैं। लेकिन, कई ऐसे दिग्गज जिनकी जीत लगभग पक्की मानी जा रही थी उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। हार के बाद उनका मनोबल काफी गिरा है जिस कारण वह शांत होकर बैठ गए हैं। सत्ताधारी दल के नेताओं को आगे लोकसभा चुनाव दिखाई दे रहा है। ऐसे में नेताओं ने भी हारे हुए उम्मीदवारों को पार्टी में एडजस्ट कर दस-दस गांवों का प्रधान बनाने की बात कही है। नेताओं का कहना है कि इसी बहाने उनका मनोबल दोबारा तो बढ़ेगा ही साथ ही साथ पार्टी प्रत्याशी को वह अधिक वोट दिलाकर फायदा पहुंचा सकते हैं। खैर जिस पद की वह चाहत रखते थे वह भले न मिला हो लेकिन, अपना मान-सम्मान और वजूद बचाने के लिए वह पार्टी की इस बात से सहमत भी हो गए हैं।
जिला प्रधान पर नेता खामोश
विपक्षी दल के बाद अब सत्ता पक्ष ने भी जिला प्रधान को बदल दिया है। नेता जी कब अपना चार्ज लेते हैं इसका कोई प्रोग्राम अभी तैयार नहीं हुआ है लेकिन, जिला प्रधानगी बदले जाने पर अभी तक सारे नेता शांत हैं। अंदरखाते कई नेताओं को आस है कि इस बार उन्हें मान सम्मान मिलेगा परंतु कईयों का पत्ता कटने की पूरी संभावना है। क्यास लगाए जा रहे हैं नेता जी अपने मंत्रीमंडल में भोआ क्षेत्र को ज्यादा तरजीह देते हुए शहरी क्षेत्र से कम नेताओं को जगह देंगे। इसके पीछे मुख्य कारण नेता जी उसी हलके से संबंध रखते हैं और प्रधानगी के जरिए वह क्षेत्र में अपना कद बढ़ाना चाहेंगे। फिलहाल तो नेता जी कह रहे हैं कि वह सभी को साथ लेकर चलेंगे ओर 2019 में पार्टी प्रत्याशी को जिताएंगे लेकिन, उससे पहले उनके लिए अपना मंत्रीमंडल बनाना सबसे बड़ी चुनौती होगा। नए नेता जी के सिर पर कांटों भरा ताज है इसलिए उन्हें हर कदम फूंक-फूंक कर ही रखना पड़ेगा।
पोस्टरों पर बधाई
शहर में सत्ता पक्ष के नेताओं व पदाधिकारियों की और से नव वर्ष, लोहड़ी व मक्र संक्राति के पोस्ट लगाए गए हैं। जबकि, विपक्षी दल के इक्का-धुक्का ही पोस्टर नजर आते हैं। नेताओं तक अपना संदेश पहुंचाने के लिए पार्टी पदाधिकारियों के पास भी इससे सुनहरा यही होता है कि दिन-त्यौहार पर उनके साथ अपनी भी बड़ी सी फोटो लगवाकर उन तक अपना संदेश पहुंचाया जा सके। सत्ता पक्ष के पदाधिकारियों का कहना है कि अभी तीन साल तक तो उनके ही मुबारकबाद वाले पोस्टर नजर आने हैं क्योंकि, दस साल सत्ता में रहने वाली गठबंधन सरकार के ही पोस्टर नजर आते थे।
चलते-चलते
सत्ता व विपक्षी दल से कई ऐसे नेता हैं जो पिछले लंबे समय से अखबार की सुर्खियों में भले न दिखाई दिए हों लेकिन, पंचों-सरपंचों को सम्मानित करने के बहाने ही वह दोबारा सूर्खियों में रहे। नेताओं के पास भी इससे बढि़या अवसर कोई नहीं था लिहाजा और पंचों-सरपंचों के साथ यहां सहानूभूति दिखाई वहीं किसी न किसी बहाने दोबारा अखबारों में भी नजर आए। - श्याम।