स्टीम इंजन से हिमाचल की वादियों की सैर करेंगे यूएसए के पर्यटक
1857 में निर्मित जेड बी-66 स्टीम इंजन पहली बार विदेशी पर्यटकों को तीन दिनों तक हिमाचल प्रदेश की हसीन वादियों में सैर करवाएगा।
पठानकोट [विनोद कुमार]। 1857 में निर्मित जेड बी-66 स्टीम इंजन पहली बार विदेशी पर्यटकों को तीन दिनों तक हिमाचल प्रदेश की हसीन वादियों में सैर करवाएगा। यूएसए के पर्यटकों ने 17 से 19 नवबंर तक स्टीम इंजन के साथ दो चार्टर्ड कोच की बुकिंग करवाई है। विदेशी पर्यटक नगरोटा से ज्वालामुखी के बीच तीन दिन तक रुकेंगे और धौलाधार की पहाड़ियों का नजारा लेते हुए विशेष तौर पर फोटोग्राफी करेंगे।
बुकिंग के बाद फिरोजपुर रेल मंडल की ओर से इंजन को ट्रैक पर दौड़ाने के लिए तैयारियां शुरू कर दी है। विभाग की ओर से पठानकोट-जोगिंद्रनगर रेल सेक्शन पर चार वाटर कालम (स्टीम इंजन के गर्म होने पर पानी की जरुरत को देखते हुए वाटर प्वाइंट) बनाने के लिए पठानकोट रेलवे को आदेश जारी कर दिए गए हैं। आदेश के बाद 50 मीट्रिक टन कोयले का भी आर्डर कर दिया गया है। अगले महीने कोयला पठानकोट की लोको में आ जाएगा।
पठानकोट रेलवे के एडीएमई (असिस्टेंट डिवीजनल मैकेनिकल इंजीनियर) जितेंद्र सिंह ने कहा कि यूएसए के पर्यटकों की ओर से दो चार्टर्ड कोचों के साथ नगरोटा से ज्वालामुखी तक के लिए तीन दिन की बुकिंग करवाई है। दिल्ली के टूरिस्ट विजिटर अमित चोपड़ा ने 17 से 19 नवंबर तक की बुकिंग करवा दी है। विदेशी पर्यटक कितने होंगे इस पर अगले महीने फाइनल हो जाएगा। फिलहाल छह पर्यटकों की बात हुई है। एक-दो की और बढ़ोतरी भी हो सकती है।
पठानकोट रेलवे अधिकारियों की मानें तो नगरोटा और ज्वालामुखी रेल सेक्शन चुनने के पीछे पर्यटकों का तर्क है कि नैरोगेज सेक्शन के बीच यही एक ऐसा एरिया है जहां से धौलाधार की हसीन वादियों का नजारा लिया जा सकता है। विदेशी पर्यटकों की और से पठानकोट-जोगिन्द्रनगर नैरोगेज रेल सेक्शन पर स्टीम इंजन को चलाने की मांग के बाद पठानकोट रेलवे ने प्रतापगढ़ (गुजरात) से स्टीम इंजन की मांग की थी।
इसके बाद रेलवे ने प्रतापगढ़ की लोको में खड़े जेड बी- 66 स्टीम इंजन को 2002 में पठानकोट की वर्कशाप में भेजा था। पठानकोट के एडीएमई जितेंद्र सिंह के प्रयासों से इंजन को इस वर्ष फिटनेस सर्टिफिकेट भी मिल गया है।
हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें