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44 साल बाद फेसबुक पर मिले 'यार अनमुल्ले', फिर ऐसे साकार हुईं यादें

पठानकोट के एक गांव में रह रह किसान दविंदर दर्शी की ख्‍ुाशी का ठिकाना नहीं रहा जब उनके 44 साल पुराने दो दोस्‍त उनके घर मिलने पहुंचे। इन दोस्‍तों का मिलन फेसबुक के जरिये हुआ।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 07 Nov 2018 12:41 PM (IST)Updated: Thu, 08 Nov 2018 08:54 AM (IST)
44 साल बाद फेसबुक पर मिले 'यार अनमुल्ले', फिर ऐसे साकार हुईं यादें
44 साल बाद फेसबुक पर मिले 'यार अनमुल्ले', फिर ऐसे साकार हुईं यादें

ठाकुर रंधीर बिटटा, माधोपुर (पठानकोट)। वक्त के साथ-साथ लोग आगे बढ़ जाते हैं लेकिन पुरानी स्‍मृतियाें का अलग ही महत्‍व व आनंद होता है। जीवन के उतार-चढ़ाव व संघर्ष के बीच पुरानी सुहानी यादें फिर साकार हो जाएं तो व्‍यक्ति नई ऊर्जा से भर जाता है। 44 साल बाद तीन दोस्‍त मिले तो फिर से पुराने दिन जैसे लौट आए। उनकी दूरियों को मिटाया सोशल मीडिया ने। यह दोस्‍त पठानकोट के माधोपुर क्षेत्र के गांव मनवाल में मिले तो स्‍मृतियों के खजाने ख्‍ुाल गए।

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हिमाचल के धर्मशाला डिग्री कॉलेज में 1974 बैच में पढ़ते थे रितु, वरिंदर और दविंदर

मनवाल के रहने वाले दविंदर दर्शी (60) को फेसबुक पर तलाश कर उनके 44 साल पुराने दोस्त मिलने घर पहुंच गए। एक बेंगलुरू तो दूसरा अमेरिका से पुराने दिनों की यादें ताजा करने पहुंच गया। कॉलेज से पास आउट होने के 44 साल बाद मिलने पर तीनों दोस्त खुशी से गदगद हो उठे।

दोस्त से मिलने बेंगलुरू और अमेरिका से पहुंचे पठानकोट के मनवाल गांव

दविंदर दर्शी कहते हैं कि वे 1974 में हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला डिग्री कॉलेज में पढ़ते थे। रितु सूद और वरिंदर बहल उनके सहपाठी रहे हैं। रितु और वरिंदर मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला के रहने वाले हैं। आजकल रितु बेंगलुरू में रहती हैं और वरिंदर बहल अमेरिका में रह रहे हैं।  उनके बैच में 40 विद्यार्थी थे। सभी की कॉलेज में गहरी दोस्ती थी।

तीन दोस्‍त रितू सूद, वरिंदर बहल और दविंदर दर्शी।

दविंदर बताते हैं कि रितू सूद ने ही फेसबुक पर कॉलेज के समय में दोस्तों को तलाश करना शुरू किया। उनकी ये मुहिम तब रंग लाई जब उन्हें फेसबुक पर वरिंदर बहल मिल गए। रितु ने फेसबुक पर दविंदर से बात की तो कॉलेज के दिन याद आ गए। बेंगलुरू से रितु और वरिंदर ने अमेरिका से अन्य दोस्तों को सोशल मीडिया पर तलाश करना शुरू कर दिया। इस तलाश में उनका संपर्क दविंदर से हुआ। तीनों ने मिलने की योजना बनाई और वे दोनों मंगलवार को उनके घर पहुंच गए।

15 दोस्तों का चल गया पता, बनाया वाट्सएप ग्रुप

रितू सूद कहती हैं कि उन्होंने सोशल मीडिया पर कई दोस्त तलाश कर लिए हैं। उनके मोबाइल नंबर भी ले लिए हैं। उन्होंने अपनी दोहती से वाट्सएप पर इन सभी पुराने दोस्तों का गु्रप भी बनवाया है। जो भी दोस्त अब उन्हें मिलता है उसका नंबर इस ग्रुप में एड कर देती हैं। करीब 15 दोस्त इस ग्रुप में शामिल हैं।  जल्द ही वे सभी गेट-टूगेदर का प्रोग्राम बना रहे हैं।


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