बलिदानों से भरा है पंजाब पुलिस का गौरवशाली इतिहास : एसएसपी लांबा
उन्होंने 21 अक्टूबर के दिन का इतिहास बताते हुए कहा कि 21 अक्तूबर 1959 को जम्मू-कश्मीर के लद्दाख सेक्टर के हाट स्प्रिंग क्षेत्र में सीआरपीएफ के दस जवानों की पेट्रोलिग चल रही थी तो चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश की जिसे इन जवानों ने विफल कर दिया तथा चीनी सैनिकों का बहादुरी से मुकाबला करते हुए अपना बलिदान दे दिया।
जागरण संवाददाता, पठानकोट: पुलिस शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्र की बलिवेदी पर प्राणों की आहुति देने वाले पैरा मिल्ट्री फोर्स व पुलिस के जवानों की शहादत को नमन करने के लिए देशभर में श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किये गये। इसी कड़ी में स्थानीय पुलिस लाइन में पंजाब पुलिस के शहीद जवानों की स्मृति में एसएसपी सुरेंद्र लांबा की अध्यक्षता में श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया गया। इसमें जिले के 14 शहीद परिवारों के अलावा सेशन जज मोहम्मद गुलजार, सीजीएम कमलदीप सिंह धालीवाल, डिस्ट्रिक्ट जज फैमिली कोर्ट प्रितपाल सिंह, एडीसी संदीप सिंह गड़ा, शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविन्द्र सिंह विक्की, साईं कालेज के डीजी स्वतंत्र कुमार मुरगई, एसपी हैडक्वार्टर मनोज ठाकुर, एसपी प्रभजोत सिंह विर्क, एसपी गुरविदर सिंह सांगा, एएसपी आदित्य, डीएसपी राजिदर मन्हास, डीएसपी सुखजिदर सिंह, डीएसपी मनिदर पाल सिंह, डीएसपी रविन्द्र सिंह रुबी, डीएसपी परसन सिंह के अलावा विभिन्न थाना प्रभारियों ने विशेष तौर पर शामिल होकर शहीदों को नमन किया।
सर्वप्रथम पंजाब पुलिस की टुकड़ी ने शस्त्र उल्टे कर बिगुल की मातमी धुन से शहीदों को सलामी दी। इसके बाद सेशन जज मोहम्मद गुलजार, एसएसपी सुरेंद्र लांबा व अन्य पुलिस अधिकारियों व शहीद परिवारों ने शहीदों के चित्र के समक्ष ज्योति प्रज्जवलित व रीथ चढ़ाकर पंजाब पुलिस के शहीद जवानों को सेल्यूट किया। सर्वप्रथम एएसपी आदित्य ने विभिन्न आप्रेशंस में शहादत का जाम पीने वाले देश भर के पुलिस, पैरा मिल्ट्री फोर्स के शहीद जवानों के नाम पढ़ते हुए उनकी शहादत को नमन किया।
एसएसपी सुरेंद्र लांबा ने कहा कि पंजाब पुलिस का गौरवशाली इतिहास बलिदानों से भरा पड़ा है। उन्होंने कहा कि पंजाब में जब आतंक के काले बादल मंडरा रहे थे तो उस समय भी पंजाब पुलिस के जवानों व अधिकारियों ने आतंकवाद की कमर तोड़ते हुए राज्य में शांति कायम की थी। आज इन शहीदों को यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी कि हम इनके पद चिन्हों पर चलते हुए इनके परिजनों का दुख दर्द बांटते हुए उनकी हर समस्या को प्राथमिक तौर पर हल करें और इनके जिगर के टुकड़ों की शहादत की गरिमा को बहाल रखें। जब जवानों ने चीनी सैनिकों की घुस पैठ को नाकाम किया
उन्होंने 21 अक्टूबर के दिन का इतिहास बताते हुए कहा कि 21 अक्तूबर 1959 को जम्मू-कश्मीर के लद्दाख सेक्टर के हाट स्प्रिंग क्षेत्र में सीआरपीएफ के दस जवानों की पेट्रोलिग चल रही थी तो चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश की, जिसे इन जवानों ने विफल कर दिया तथा चीनी सैनिकों का बहादुरी से मुकाबला करते हुए अपना बलिदान दे दिया। उन सैनिकों के अदम्य साहस व बलिदान को नमन करने के लिए उस दिन को सारे देश में पुलिस शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। एसएसपी सुरेंद्र लांबा व अन्य मेहमानों द्वारा 14 शहीद परिवारों को पुष्प माला पहना व गिफ्ट भेंट कर सम्मानित किया। एसएसपी ने शहीद परिवारों की समस्याओं को सुनते हुए उन्हें हल करने का आश्वासन दिया। देश के त्योहारों के रखवाले हैं पुलिस के जवान : कुंवर विक्की
परिषद के महासचिव कुंवर रविन्द्र विक्की ने कहा कि जब कोई त्योहार आता है तो हमारे पुलिस जवानों की ड्यूटी और भी कड़ी हो जाती है ताकि देशवासी सुरक्षित होकर अपने परिवार के साथ त्योहार मना सकें। उन्होंने कहा कि हमारी पुलिस के जवान सही मायनों में हमारे त्योहारों के रखवाले हैं। इन शहीदों के परिवार हुए सम्मानित
कांस्टेबल रमेश चंद्र, एएसआइ कुलदीप सिंह, एएसआइ नरेश कुमार, एसपीओ जगीर सिंह, कांस्टेबल प्रेम सिंह, पीएचजी देस राज, कांस्टेबल स्वर्ण दास, कांस्टेबल रत्नजीत सिंह, पीएचजी बोधराज, एसपीओ मोहिदर पाल, पीएचजी सुखदेव सिंह, कांस्टेबल गुलशन कुमार, कोरोना काल के दौरान अपनी डयूटी को तनदेही से निभाते हुए कोरोना की चपेट में आकर शहीद होने वाले एएसआइ राम लाल व एएसआइ करनजीत सिंह। विनोद कुमार, पठानकोट