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कठुआ मामले की सुनवाई करनेवाले ते‍जविंदर महज 23 साल में बने थे जज

कठुआ मामले की सुनवाई करनेवाले डॉ. तेजविंदर सिंह 23 साल की आयु में जज बने थे। वह 9 जुलाई से इस मामले की सुनवाई करेंगे। तीन माह तक चलनेवाली सुनवाई कैमरे की निगरानी में होगी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 08 May 2018 11:09 PM (IST)Updated: Thu, 10 May 2018 08:50 PM (IST)
कठुआ मामले की सुनवाई करनेवाले ते‍जविंदर महज 23 साल में बने थे जज
कठुआ मामले की सुनवाई करनेवाले ते‍जविंदर महज 23 साल में बने थे जज

जेएनएन, पठानकोट। बहुचर्चित कठुआ केस की सुनवाई करने वाले जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉ. तेजविंदर सिंह महज 23 वर्ष की आयु में सिविल जज बने थे। उनकी यह उपलब्धि लिम्का बुक में भी दर्ज है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पठानकोट की अदलत में इस मामले की सुनवाई 9 जुलाई से बंद कमरें में होगी। तीन माह तक चलनेवाली यह सुनवाई कैमरों की निगरानी में होगी।

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डॉ. तेजविंदर सिंह 1993 में सिविल जज बने थे। डॉ. तेजविंदर सिंह ने पंजाब यूनिवर्सिटी से एलएलबी डिग्री ली। पठानकोट में बतौर जिला एवं सत्र न्यायाधीश तैनात होने से पहले वह लुधियाना, जगराओं, सुनाम, मलेरकोटला, चंडीगढ़, दसूहा, नवांशहर, गुरदासपुर, बठिंडा में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

चंडीगढ़ के पंजाब विश्‍वविद्यालय से उन्होंने भारत में आतंकवाद पर नियंत्रण पाने के वैधानिक अधिनियम विषय पर पीएचडी भी की। अब वह एलएलडी (डॉक्टरेट ऑफ लॉ) करने जा रहे हैं। उनकी पत्नी गुलजौली पॉलीवुड अभिनेत्री हैं। गुलजौली पंजाबी फिल्म कैरी ऑन जट्टा, बैंड बाजा बरात, याराना व विआज 70 किलोमीटर दूर में काम कर चुकी हैं।

सुनवाई कैमरों की निगरानी में ३ माह तक चलेगी कठुआ मामले की सुनवाई

कठुआ मामले पर पूरे देश की निगाहें टिकी हैं। जम्मू-कश्मीर के इतिहास में यह दूसरा मामला है जिसकी सुनवाई किसी अन्य राज्य में होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को पंजाब के पठानकोट में शिफ्ट कर दिया है। यहां जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉ. तेजविंदर सिंह इस मामले में अब सुनवाई करेंगे। 9 जुलाई से बंद कमरे में कैमरों की निगरानी में मामले पर सुनवाई शुरू होगी। हालांकि अदालत को सुनवाई जम्मू-कश्मीर में लागू रणबीर दंड संहिता के प्रावधानों के अनुसार ही करनी होगी।

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काबिलेगौर है कि पठानकोट से सटे जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में इसी वर्ष 10 जनवरी को आठ साल की बच्ची से दरिंदगी के बाद हत्या कर दी गई थी। मामला इतना गंभीर हो गया था कि जम्मू-कश्मीर में कई मंत्रियों का पद छिन गया। परिजन स्थानीय पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए सीबीआइ जांच की मांग कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट की ओर से सीबीआइ जांच की मांग को मानने की बजाय केस को पंजाब के पठानकोट सेशन कोर्ट में शिफ्ट करने का आदेश दिया।

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की ओर से मामला पठानकोट जिला एवं सत्र न्यायालय में ट्रांसफर करने के बाद जम्मू-कश्मीर से सारा रिकॉर्ड उर्दू से अंग्रेजी में अनुवाद कर सौंपने को कहा गया है। अनुवादित रिकॉर्ड उपलब्ध होने के बाद 9 जुलाई से मामले में सुनवाई शुरू की जाएगी। सारा मामला तीन महीने में पूरा करने की समय सीमा निर्धारित की गई है।

अतिरिक्त जवान होंगे तैनात

पुलिस ने मुताबिक मामले की गंभीरता को देखते हुए पंजाब सरकार डिस्ट्रिक्ट सेशन कोर्ट में सुरक्षा प्रबंधों को और बढ़ाएगी। पूरे कोर्ट कांप्लेक्स में अतिरिक्त जवानों की तैनाती की जाएगी।

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जम्मू-कश्मीर से केस स्थानांतरण का दूसरा मामला

कठुआ मामले से पहले जम्मू-कश्मीर सैक्स स्कैंडल की सुनवाई चंडीगढ़ स्थानांतरित की गई थी। इस सैक्स स्कैंडल में कई राजनेता और अफसर भी शामिल थे। जुलाई 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से किसी भी मामले को स्थानांतरित करने की मंजूरी दी थी।


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