स्टाफ कोरोना ड्यूटी में, लोगों को नहीं मिल रही मेडिकल सुविधा
कोरोना महामारी के काल में दूसरे रोगों से भी बचाव करना आसान नहीं है।
संवाद सहयोगी, बमियाल/दुनेरा: कोरोना महामारी के काल में दूसरे रोगों से भी बचाव करना आसान नहीं है। कारण यह है कि सरकारी अस्पतालों का स्टाफ इस समय कोरोना ड्यूटी में व्यस्त है तो ग्रामीण इलाकों में बीमार होने पर उपचार सुविधा के लिए पठानकोट या निजी अस्पतालों का रूख करना पड़ रहा है। बार्डर एरिया का बमियाल सेक्टर हो या धार का दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र, इन ग्रामीण इलाकों के हालात एक जैसे हैं। यहा का मेडिकल स्टाफ को दूसरे स्थानों पर भेजा जा चुका है तो पीछे अस्पताल चुनिंदा कíमयों के सहारे ही चल रहे हैं। ऐसे में न तो लोगों को उपचार मिल पा रहा है और न ही उन्हें कोई राहत। नरोट जयमल सिंह अस्पताल के हालात बदतर
अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर से सटे इस अस्पताल पर 90 गावों के ग्रामीणों की सेहत सुविधा का भार है। यहा के सीनियर मेडिकल अधिकारी सहित तीन डॉक्टर की ड्यूटी कोरोना वायरस के तहत लगाई गई है। मौजूदा समय में एक गायनी डॉक्टर, डेंटिस्ट और एक मेडिकल ऑफिसर ही सेवाएं दे रहे हैं। पहले आम दिनों में अस्पताल की ओपीडी 200 से 300 रोजाना रहती थी, जोकि मौजूदा समय में 40 पर सिमट गई है। पीएचसी बमियाल की स्थिति
यहा पर 2 डॉक्टर आयुर्वेदिक और मेडिकल ऑफिसर काम करते रहे हैं। पहले सभी कोरोना ड्यूटी में तैनात किए गए थे, लेकिन बाद में लोगों के आक्रोश को देखते हुए एक डॉक्टर को फिर नियुक्त कर दिया गया। अब यहा पर ओपीडी भी नाममात्र रह गई है। धार के हालात भी ठीक नहीं, लोगों ने जताया रोष
यह अस्पताल को पहले ही रामभरोसे हैं। यहा पर नवंबर 2019 से बिना डॉक्टर एवं 2013-14 से बिना फार्मासिसट, एएनएम और लैब टेक्नीशियन के पद खाली हैं। वर्तमान में अस्पताल के एक डॉक्टर एवं एक हेल्थ वर्कर को भी कोविड 19 की ड्यूटी में तैनात किया जा चुका है। बता दें कि 2013-14 में पीएचसी दुनेरा मे प्रति माह 1500 से 1800 के करीब मरी? आते थे। स्थायी स्टाफ न होने के चलते 25 से 30 गावों के अस्पताल में लोगों ने दूरी बना ली है। इसके अलावा धार के भटवा के डॉक्टर को भी दूसरी जरह भेजा गया है तो दुर्गम इलाकों के सब सेंटर दुखनियाली, पतरालवा के हेल्थ वर्कर भी कोरोना प्रबंधों में ड्यूटी दे रहे हैं।
सरपंच लजेरा विजय धीमान, सरपंच दुनेरा झिकला पप्पू राम, सरपंच दुनेरा राजेश कुमार राजू, सरपंच घाड वगडोली किशन चंद, सरपंच भगुंडी सुषमा मनहास का कहना है कि सरकार ने केवल दिखावे के लिए अस्पताल खोले हैं। अंतिम छोर में बसे इन इलाकों को भगवान भरोसे छोड़ा गया है। कोरोना के हालात की बात नहीं है इन अस्पतालों में पहले भी सुविधाएं नहीं रहीं। यही कारण है कि लोगों को निजी अस्पतालों में महंगे उपचार करवाने पड़ रहे हैं। कोरोना महामारी से निपट रहा स्टाफ: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ. विनोद सरीन का कहना है कि कोरोना के हालातों से सभी वाकिफ हैं। ऐसे में इस महामारी से निपटने के लिए स्टाफ की ड्यूटी लगाई गई हैं, हालात सामान्य होने पर सभी अपने स्थानों पर सेवाएं देंगे।