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साथी सैनिकों को बचाते हुए मक्खन ¨सह ने पिया था शहादत का जाम

भारत माता की रक्षा करते हुए राष्ट्र की बलिवेदी पर देश के अनेकों रणबांकुरों ने अपने प्राण न्यौछावर कर शहादत के जाम पिए हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Jan 2019 01:13 AM (IST)Updated: Sun, 13 Jan 2019 01:13 AM (IST)
साथी सैनिकों को बचाते हुए मक्खन ¨सह ने पिया था शहादत का जाम
साथी सैनिकों को बचाते हुए मक्खन ¨सह ने पिया था शहादत का जाम

जासं, पठानकोट : भारत माता की रक्षा करते हुए राष्ट्र की बलिवेदी पर देश के अनेकों रणबांकुरों ने अपने प्राण न्यौछावर कर शहादत के जाम पिए हैं। पठानकोट व गुरदासपुर की धरती को तो वैसे भी शहीदों की भूमि होने का गौरव प्राप्त है। इसी महान धरती की बलिदानी मिट्टी में रचा पला बांका जवान सिपाही मक्खन ¨सह जो 17 वर्ष पहले जम्मू-कश्मीर की वादियों में अपनी कर्तव्य परायणता का परिचय देते हुए शहादत का जाम पी गया।

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इस वीर योद्धा के जीवन संबंधी जानकारी देते हुए शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर र¨वदर ¨सह विक्की ने कहा कि सिपाही मक्खन ¨सह का जन्म 15 नवंबर 1979 पिता हंसराज व माता लाज कौर के घर हुआ। इन्होंने अपनी 12वीं तक की शिक्षा सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूल पठानकोट से प्राप्त की। बचपन में ही यह देशभक्ति की बातें किया करते थे तथा स्कूल के कार्यक्रमों में यह हमेशा सैनिक की भूमिका निभाया करते थे। दिल में देशभक्ति का यही जज्बा लिये वह 3 जुलाई 1999 को भारतीय सेना की 4 सिख रेजीमेंट में भर्ती होकर देश सेवा में जुट गये। तीन साल के सेवाकाल के दौरान यह ज्यादातर आतंकवाद से प्रभावित क्षेत्रों में तैनात रहे। 14 जनवरी 2002 को जब इनकी युनिट श्रीनगर के नौगांव क्षेत्र की राधा पोस्ट पर तैनात थी तो इन्हें इस स्थान पर आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली तो यह अपने साथियों सहित तलाशी अभियान पर निकल पड़े तभी आतंकियों की नजर इनकी सैन्य टुकड़ी पर पड़ी तो उन्होंने गोलाबारी शुरु कर दी। सिपाही मक्खन ¨सह ने भी अपने साथियों सहित उनके इस हमले का मूंह तोड़ जवाब दिया। इसी बीच एक गोली इनके सीने को भेदते हुए निकल गई। जिससे इस जांबाज सैनिक ने अपने साथी सैनिकों को बचाते हुए शहादत का जाम पी लिया। शहीद होने के एक महीना पहले जब यह घर आये तो मां ने कहा था कि बेटे कश्मीर में खतरा है और अपना ध्यान रखना तो मक्खन ¨सह ने कहा कि मां जिस दिन से यह वर्दी पहनी है, यह ¨जदगी देश की अमानत है, पर मुझे फº होगा कि मेरा जीवन देश के काम आ सकें। आखिर में इनके द्वारा कहीं हुई बातें सच्च हुई। घर पर मां बेटे की शादी के सपने संजो रही थी, मगर बेटा तिरंगे में लिपटा हुआ घर पहुंचा। कुंवर विक्की ने बताया कि इस रणबांकुरे की शहादत को नमन करने के लिए 14 जनवरी को इनके नाम पर बने सरकारी ग‌र्ल्ज सीनियर सैकेंडरी स्कूल पठानकोट में एक श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें कई गणमान्य लोग व सैन्य अधिकारी शामिल होकर इस शूरवीर को अपने श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे।


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