Move to Jagran APP

सेवा केंद्रों में सेवाओं के साथ भीड़ बढ़ रही, पर कर्मचारी नहीं, 16 में से दो बंद हो चुके, 14 पर सिर्फ 67 कर्मी कार्यरत

14 सेवा केंद्रों में केवल 67 कर्मचारी ही नियुक्त हैं। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि सेवा केंद्र में एक कर्मचारी के उपर कितना कार्यभार होगा। सुबह से दोपहर तक इन केद्रों में लोगों की लंबी लाइन लगी रहती है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Oct 2021 04:12 AM (IST)Updated: Fri, 15 Oct 2021 04:12 AM (IST)
सेवा केंद्रों में सेवाओं के साथ भीड़ बढ़ रही, पर कर्मचारी नहीं, 16 में से दो बंद हो चुके, 14 पर सिर्फ 67 कर्मी कार्यरत
सेवा केंद्रों में सेवाओं के साथ भीड़ बढ़ रही, पर कर्मचारी नहीं, 16 में से दो बंद हो चुके, 14 पर सिर्फ 67 कर्मी कार्यरत

जागरण संवाददाता, पठानकोट : लोगों को एक छत के नीचे नागरिक सेवा मुहैया कराने के उद्देश्य से अगस्त 2016 में अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार ने सेवा केंद्र की शुरुआत की थी। पठानकोट में कुल 16 में से दो सेवा केंद्र अब बंद हो चुके हैं। आज हालात ये हैं कि सेवा केंद्र में मिलने वाली सेवाएं तो लगातार बढ़ाई जा रही हैं, जिस कारण यहां पर लोगों की भीड़ भी बढ़ती जा रही है, लेकिन कर्मचारियों की गिनती नहीं। सेवा केंद्र बंद होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र से संबंधित लोगों को काम करवाने के लिए आना पड़ रहा है। इसके चलते लोगों को आर्थिक तौर के साथ-साथ समय की भी बर्बादी का सामना करना पड़ता है। शहर में कुल चार और ग्रामीण एरिया में दस सेवा केंद्र चल रहे हैं।

loksabha election banner

इन 14 सेवा केंद्रों में केवल 67 कर्मचारी ही नियुक्त हैं। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि सेवा केंद्र में एक कर्मचारी के उपर कितना कार्यभार होगा। सुबह से दोपहर तक इन केद्रों में लोगों की लंबी लाइन लगी रहती है। अपने कामों के लिए लोगों को कई दिनों तक चक्कर काटने पड़ रहे हैं। सेवा केंद्र में कार्यरत एक कर्मचारी ने बताया कि 243 से अधिक नागरिक सुविधाएं यहां पर मिल रही हैं। कर्मचारियों की संख्या कम है। बाहर से आने वाले लोगों की संख्या अधिक है। इस कारण लोगों को परेशानी हो रही है।

सरकारी रिकार्ड के अनुसार प्रदेश में 2147 सेवा केंद्र का निर्माण करवाया गया था, जिसमें 389 केंद्र शहरी इलाके में और 1758 केंद्र ग्रामीण इलाके में बनाए गए थे। इसपर कुल 500 करोड़ रुपये का खर्चा आया था। इसी कड़ी में जिले में कुल 16 सेवा केंद्र खोले गए थे। प्रत्येक केंद्र पर 10-10 लाख रुपये की लागत आई थी। डेढ़ से ढाई किलोमीटर के क्षेत्र में जनसंख्या को देखते हुए एक सेवा केंद्र का निर्माण किया गया था। ग्रामीण इलाकों में चार पांच गांवों पर एक सेवा केंद्र बनाया गया है। इन केंद्रों में 243 से अधिक नागरिक सुविधाएं एक ही छत के नीचे मिलने लगी थी, लेकिन कांग्रेस सरकार की अनदेखी के कारण करीब 75 फीसद सेवा केंद्र बंद हो चुके हैं या होने के कगार पर हैं। मई 2020 में मुख्य सचिव के एक आदेश के अनुसार प्रदेश भर में 516 सुविधा केंद्र चल रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.