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नम आंखों से अशोक चक्र विजेता जसरोटिया की शहादत को नमन

शौर्य त्याग व बलिदान का दूसरा नाम है कैप्टन अरुण जसरोटिया जिन्हें लोलाब घाटी के टाइगर के रूप में जाना जाता था। उन्होंने 26 वर्ष पहले जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा सेक्टर की लोलाब घाटी में छिपे हुए आतंकियों को मौत की नींद सुलाते हुए अपने साथी सैनिकों के प्राणों को बचा कर कश्मीर की वादियों में वीरता का जो इतिहास रचा उसकी मिसाल अन्य कहीं नहीं मिलती है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 26 Sep 2021 04:32 PM (IST)Updated: Sun, 26 Sep 2021 05:59 PM (IST)
नम आंखों से अशोक चक्र विजेता जसरोटिया की शहादत को नमन
नम आंखों से अशोक चक्र विजेता जसरोटिया की शहादत को नमन

संवाद सहयोगी, सुजानपुर: भारतीय सेना की 9 पैरा स्पेशल फोर्स यूनिट के अशोक चक्र विजेता शहीद कैप्टन अरुण जसरोटिया का 26वां श्रद्धांजलि समारोह शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविदर सिंह विक्की की अध्यक्षता में उनके निवास स्थान सुजानपुर में आयोजित किया गया। यहां परिषद के अध्यक्ष कर्नल सागर सिंह सलारिया मुख्य मेहमान के तौर पर शामिल हुए। इनके अलावा शहीद के पिता कर्नल प्रभात जसरोटिया, भाई एक्सईएन राकेश जसरोटिया, भाभी नीलम जसरोटिया, भतीजा अमन जसरोटिया, शहीद सिपाही मक्खन सिंह के पिता हंस राज, परिषद के प्रेस सचिव बिट्टा काटल, कैप्टन बीआर शर्मा आदि ने शहीद कैप्टन अरुण जसरोटिया को श्रद्धासुमन अर्पित किए। सर्वप्रथम मुख्यातिथि व अन्य मेहमानों ने शहीद के चित्र के समक्ष ज्योति प्रज्जवलित व पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यक्रम की शुरुआत की।

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इस दौरान कर्नल सागर सिंह सलारिया ने कहा कि शहीद कैप्टन अरुण जसरोटिया जैसे अमर बलिदानियों की बदौलत ही राष्ट्र की एकता व अखंडता बरकरार है। शहीद अरुण ने 27 वर्ष की अल्पायु में अदम्य साहस का परिचय देते हुए वीरता का जो इतिहास रचा ऐसे शूरवीरों की अमूल्य शहादत व शौर्य के समक्ष समूचा राष्ट्र नतमस्तक है। उन्होंने कहा कि शहीदों के बलिदानों की नींव पर ही देश खड़ा है। अगर नींव मजबूत होगी तो देश मजबूत बनेगा। उन्होंने कहा कि देश की युवा पीढ़ी को चाहिए कि कैप्टन अरुण जसरोटिया जैसे वीरों को अपना रोल माडल मानकर उनके पदचिन्हों पर चलें।

परिषद के महासचिव कुंवर रविदर सिंह विक्की ने कहा कि शौर्य, त्याग व बलिदान का दूसरा नाम है कैप्टन अरुण जसरोटिया, जिन्हें लोलाब घाटी के टाइगर के रूप में जाना जाता था। उन्होंने 26 वर्ष पहले जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा सेक्टर की लोलाब घाटी में छिपे हुए आतंकियों को मौत की नींद सुलाते हुए अपने साथी सैनिकों के प्राणों को बचा कर कश्मीर की वादियों में वीरता का जो इतिहास रचा उसकी मिसाल अन्य कहीं नहीं मिलती है। उनकी बहादुरी को देखते हुए देश के तत्कालीन राष्ट्रपति डा. शंकर दयाल शर्मा ने जहां उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से नवाजा, वहीं उस समय की पंजाब सरकार ने उन्हें निशान ए खालसा अवार्ड से सम्मानित किया। उन्होंने कहा की शहीदों के परिवार सारे राष्ट्र के परिवार होते हैं तथा इनका सम्मान ही शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि है। परिषद की ओर से जहां शहीद कैप्टन अरुण जसरोटिया के परिजनों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया, वहीं शहीद के परिजनों ने आये मेहमानों को गीता व शाल भेंट कर सम्मानित किया।

इस अवसर पर ठाकुर राजेश बिट्टी, शक्ति सिंह, रवि सिंह, नरेश सिंह, कौंसिल अध्यक्ष अनुराधा बाली , उपाध्यक्ष सुरेंद्र मन्हास ,पार्षद महेंद्र बाली, मोहनलाल डोगरा, बीआर शर्मा आदि उपस्थित थे।


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