सतगुरु की सेवा से होगा भवसागर पार : स्वामी दिव्यानंद पुरी
पठानकोट के लूणी क्षेत्र में सत्संग भजन कीर्तन समारोह का आयोजन दर्शन लाल तथा सुरेंद्र शादी की अध्यक्षता में किया गया जिसमें शाहपुर कंडी पीठाधीश्वर श्री श्री 100
संवाद सहयोगी, जुगियाल : पठानकोट के लूणी क्षेत्र में सत्संग भजन कीर्तन समारोह का आयोजन दर्शन लाल तथा सुरेंद्र शादी की अध्यक्षता में किया गया। इसमें शाहपुरकंडी पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 स्वामी दिव्यानंद पुरी जी महाराज विशेष रूप से उपस्थित हुए। प्रवचन करते हुए श्री स्वामी दिव्यानंद पुरी जी ने शिष्यों की गुरु के प्रति सेवाभाव का खूबसूरत वर्णन किया। उन्होंने बताया कि शिष्यों को अपने गुरु के प्रति सेवाभाव निष्काम रूप से करनी चाहिए जिससे सेवक के दर्शन स्वामी के दर्शन के समान हो जाए। सेवक की वाणी स्वामी की वाणी हो जाए और सेवक के मुंह को देखकर ही गुरु के दर्शन हों। ऐसी सेवा करने वाला ही सच्चा गुरमुख है। शिष्य को गुरु दरबार की सेवा गुरु आज्ञा के अनुसार करनी चाहिए। शिष्य को गुरु से सेवा की बख्शीश प्राप्त होती है। उसे संसार में चारों पदार्थ उपलब्ध हो जाते हैं। इसलिए साध संगत की सेवा, लंगर की सेवा, गुरु वचनों के अनुसार गुरु घर की सेवा निर्मल भाव से करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि वाणी में भी सतगुरु ने फरमाया है कि आसरा का आसरा सतगुरु, नियुक्तियों की ओट सतगुरु। इसलिए जिसने सतगुरु के चरणों में सिर रख दिया वो भवसागर से पार हो गया। मानव का लक्ष्य परमात्मा को पाना है। प्रवचन के उपरांत महा आरती कर लंगर भंडारे का आयोजन किया गया। इस दौरान दर्शन लाल, कृष्णा देवी, कविता रोड़ा, सोनू, रमा कुमारी, कुलवंत ¨सह, जो¨गदर कौर, सुखदेव, सुरेंद्र साबी, हर¨जदर, गौतम, सुभाष, गोपी, शिवनाथ, अजेश लूथरा, आश्रम से शांताबाई, नवीन, ¨रकू, गुरमीत, राजकुमार, राकेश, जो¨गद्र फौजी, पल¨वदर, धर्मेंद्र, भारत आदि मौजूद थे।