प्रभु सिमरन से बढ़कर कोई साधना नहीं : संत हरिदास
सतयुग में भगवान विष्णु के ध्यान से, त्रेता में यज्ञ से और द्वापर में पूजा अर्चना से जो फल मिलता है, वह कलयुग में भगवान के नाम का सिमरन से प्राप्त होता है।
संवाद सहयोगी, घरोटा
सतयुग में भगवान विष्णु के ध्यान से, त्रेता में यज्ञ से और द्वापर में पूजा अर्चना से जो फल मिलता है, वह कलयुग में भगवान के नाम का सिमरन से प्राप्त होता है। यह बात कथाकार संत हरिदास महाराज ने व्यक्त की। वह घरोटा में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा। कार्यक्रम का शुभारंभ यजमान स¨वद्र पटवारी, कैलाश शर्मा, एनआरआई विनयकांत शर्मा द्वारा पूजा अर्चना व यज्ञ से किया गया। इस मौके पर बहरामपुर लाल द्वारा मंदिर के संचालक 1008 स्वामी राम दास महाराज विशेष तौर पर उपस्थित रहे। कथाकार संत हरि दास महाराज ने कहा कि नाम जपने से बढ़ कर कोई भी साधना नहीं। आवश्यकता है निष्ठा के साथ इसके जप की। भक्त शिरोमणि नारद जी, भक्त प्रहलाद, गणिका, ध्रुव, हनुमान जी, अजामिल, केवट, भीलनी, शबरी सभी ने भगवन नाम जप के द्वारा भगवत प्राप्ति की है। मध्यकालीन भक्त और संत कवि सूर दास, तुलसी दास, कबीर दास, गुरु रविदास, पीपा जी महाराज, मीराबाई, सहजोवाई जैसी भक्तों ने इस जप योग करके संपूर्ण संसार को आत्म कल्याण का संदेश दिया है। संत हरि दास ने आगे कहा कि मनुष्य भगवत प्राप्ति को जीवन का एक मात्र लक्ष्य समझें। अपनी निर्मल बुद्वि को भगवत प्राप्ति के साधनों के अनुष्ठान में सदा संलगण रखे। कभी अनर्थ व्यर्थ का निश्चय एवं ¨चतन न करें। इस मौके पर समिति मेंबर रा¨जद्र राणा, अशोक कुमार, राज ¨सह, सोम नाथ, सरपंच दर्शन ¨सह, डॉ. अशोक, कालू महाजन, अजीत ¨सह, सुभाष ¨सह, दिलाबर ¨सह, जय ¨सह, कैप्टन पुरुषोत्तम और अन्य उपस्थित थे।