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आतंकियों ने छीना परिवार, सरकार ने हक, अब छत भी खतरे में

पंजाब में आतंकवाद के काले दौर के बाद पंजाब के विभिन्न क्षेत्रों से जान बचाकर पठानकोट की हाऊसिग बोर्ड कॉलोनी में कुछ लोग बस गए थे।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Jan 2020 11:34 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jan 2020 06:13 AM (IST)
आतंकियों ने छीना परिवार, सरकार ने हक, अब छत भी खतरे में
आतंकियों ने छीना परिवार, सरकार ने हक, अब छत भी खतरे में

राज चौधरी, पठानकोट : पंजाब में आतंकवाद के काले दौर के बाद पंजाब के विभिन्न क्षेत्रों से जान बचाकर पठानकोट की हाऊसिग बोर्ड कॉलोनी में कुछ लोग बस गए थे। इन लोगों के परिवार को आतंकियों ने छीन लिया। इसके बाद सरकार ने भी हकों से महरूम रखा। अब इन लोगों की छत और रोटी खतरे में है।

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रोष में सोमवार को सड़कों पर उतरकर हाऊसिग बोर्ड कॉलोनी के 424 परिवारों ने मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। लोगों ने कहा कि सरकार ने प्रभावित परिवारों को राहत देने के लिए 781 करोड़ रुपये का पैकेज तैयार किया था। इस पैसे से प्रभावित परिवारों को नौकरी देने से लेकर, काम करने के लिए बूथ तथा पक्के मकान दिए जाने की बात कही गई थी परंतु ये राशि आज तक जारी नहीं हुई जिस कारण उनकी हालत खराब हो चुकी है। माथे पर प्लायनकर्ता के लगे धब्बे को सरकार ने साफ करने के लिए कोई प्रयास तक नहीं किया। प्रदर्शकारियों ने जहां रोष जताया कि सरकार सीएए तथा एनआरसी के आधार पर बाहरी देशों के हिदुओं तथा सिक्ख परिवारों को भारत में नागरिकता देने की बात कह रही है परंतु आतंकवाद के काले दौर में अपने परिवारों को खो चुके, घर-परिवार से महरूम होकर रह रहे देश के नागरिकों को ही उनके हक से दूर रख रही है। 32 सालों से प्लायनकर्ता का धब्बा माथे पर लगा

ट्रैरेरिस्ट वायलेंस इफेक्टिड विक्टम एसोसिएशन के प्रधान कमल देवगन ने रोष जताते हुए कहा कि सरकारी विदेशियों को भारत में बसाने के नाम पर अपनी रोटियां सेंक रही है। यह पहली बार नहीं, इससे पहले भी कई सरकारों ने ऐसे ही आतंकवाद प्रभावितों को उनके हक दिलाने की बात कह कर उनका शोषण किया। पर विगत 32 सालों से उनके सिर पर लगा प्लानकर्ता का धब्बा नहीं मिट पाया। किसी भी पल गिर सकती है छत

प्रधान कमल देवगन ने बताया कि आज हालात यह है कि वह अत्यंत जर्जर हालत इमारतों में रह रहे हैं जोकि किसी भी क्षण गिर सकती है। रोजगार न होने के कारण लोग भड़क रहे हैं। कई बच्चों का जन्म भी इन्हीं कैंपों में आकर हुआ। सरकार दंगा पीडित परिवारों की भांति पंजाब के आतंकवाद प्रभावित परिवारों की भी सुध ले।

तीन दशक पहले आए 424 परिवार

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वह पंजाब के विभिन्न हिस्सों से प्लायन कर पठानकोट आए बसे थे। 1990 में सुप्रीम कोर्ट ने हुकम जारी करते हुए उस समय में जिला मजिस्ट्रेट की जिम्मेदारी लगाई थी कि आतंकवाद प्रभावित इन परिवारों की मुश्किलों का 10 दिनों के बीच निपटारा किया जाए। सुरक्षा को लेकर डीआइजी पुलिस की ड्यूटी लगाई गई तथा इसे कैंप का दर्जा दिलाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें प्लायनकर्ता बनाकर कैंप में बिठा तो दिया परंतु बाद में सरकारों ने उनकी सुध तक नहीं ली।


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