हिदू बैंक के बाहर तपती धूप में धरने पर बैठे खाताधारक
पिछले डेढ़ वर्ष से डिफाल्टरों से 80 करोड़ रुपए का एनपीए रिकवर न होने के कारण डूबने की कगार पर पहुंच चुके हिदू कोऑपरेटिव बैंक के शेयर होल्डर और खाता धारकों को अपना ही पैसा न मिलने के कारण उनके सब्र का बांध टूटना शुरू हो गया है।
संवाद सहयोगी, पठानकोट
पिछले डेढ़ वर्ष से डिफाल्टरों से 80 करोड़ रुपए का एनपीए रिकवर न होने के कारण डूबने की कगार पर पहुंच चुके हिदू कोऑपरेटिव बैंक के शेयर होल्डर और खाता धारकों को अपना ही पैसा न मिलने के कारण उनके सब्र का बांध टूटना शुरू हो गया है। उल्लेखनीय है कि बैंक की आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से आरबीआइ ने खाता धारक को एक साल में 25 हजार रुपये ही निकालने की अनुमति दी है। यह प्रतिबंध पिछले डेढ साल से लगा हुआ है।
बैंक में जमा रकम न मिलने पर शहर के टेंट एवं कैटरिग कारोबारी रजत बाली वीरवार को हिदू बैंक के बाहर तपती धूप में वह सुबह 11 बजे बोरी बिछा कर सड़क पर बैठ गए। जैसे ही हिदू बैंक के शेयर होल्डर तथा खाता धारकों को इस बात का पता चला तो वह भी बाली के साथ धरने पर बैठ गए। देखते ही देखते बैंक के बाहर धरने पर बैठने वालों की तादाद बढ़ गई। यह धरना शाम तक जारी रहा।
पठानकोट व्यापार मंडल के अध्यक्ष एसएस बाबा तथा महासचिव मनिद्र सिंह भी धरने पर बैठे शेयर होल्डर एवं खाता धारकों के समर्थन में पहुंच गए। लोगों के बढ़ते आक्रोश को देखते हुए बैंक प्रबंधन ने थाना डिवीजन नम्बर-2 पुलिस को सूचित किया। मौके पर पहुंचे थाना प्रभारी देवेंद्र प्रकाश और थाना डिवीजन एक के बलविद्र सिंह पुलिस टीम सहित मौके पर पहुंचे और एहतियात के तौर पर बैंक की सुरक्षा बढ़ा दी।
अपने ही पैसों के लिए बैठना पड़ा धरने पर
धरने पर बैठे रजत बाली ने बताया कि कोरोना की वजह से उनका कारोबार ठप हो चुका है। ऐसे में अब खुद का खर्च और लेबर को पैसा देना बेहद मुश्किल हो चुका है। जो रिजर्व पैसा रखा गया था, वह 16 लाख रुपये बैंक में जमा है। पहले थोड़ा बहुत काम चलता था तो यह नौबत नहीं आई। लेकिन अब पैसों की दरकार है तो बैंक उन्हें उनके 19 लाख रुपये नहीं दे रहा । मजबूरन धरने पर बैठना पड़ा है।
नहीं हो रहा लेन-देन : समरेंद्र शर्मा
शिक्षाविद समरेंद्र शर्मा और आदर्श भारतीय कॉलेज पठानकोट के रिटायर्ड प्रिसिपल दिनेश शर्मा ने कहा कि हिदू बैंक की ओर से डेढ़ साल से एनपीए रिकवर कर तत्काल ग्राहकों तथा शेयर होल्डर को उनका पैसा दिये जाने के प्रलोभन दिये जा रहे हैं। पर न तो डिफाल्टरों से पूरी रिकवरी हो पाई और ना ही कोई लेन-देन बैंक से शुरू हो पाया है। उलटा बैंक के कर्मचारी करीब एक लाख खाताधारकों की जमा पूंजी में से अपना वेतन ले रहे हैं।
पहले कहां सोई थी भाजपा
पठानकोट व्यापार मंडल के अध्यक्ष एसएस बावा, महासचिव मनिद्र सिंह लक्की ने कहा कि सरकार इस मामले के समाधान में नाकाम रही है। अब भाजपा की गठित कमेटी भी राजनीति का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि हिदू बैंक को बचाने के लिए इस कमेटी की ओर से पिछले डेढ़ साल से कोई प्रयास क्यों नहीं किया गया। बैंक के खाताधारक और शेयर होल्डरो में अपने ही पैसे लेने के लिए एड़ियां रगड़नी पड़ रही है। बैंक के बाहर लगने वाले धरने-प्रदर्शनों में भाजपा भी खुल कर सामने आए।
बैंक को बचाने को प्रयासरत हूं : सीईओ
हिदू बैंक के सीईओ अमन मेहता ने कहा कि बैंक को बचाने के लिए सरकार के दिशा निर्देशों पर जिलाधीश गुरप्रीत खैरा के दिशा निर्देशों पर काम किया जा रहा है। रजिस्ट्रार कोऑपरेटिव सोसाइटी विकास गर्ग रिजर्व बैंक आफ इंडिया के साथ लगातार संपर्क में है ताकि इस बैंक को पुन: पांव पर खड़ा किया जा सके। बैंक पर लगातार बढ़ रहे साढ़े 55 करोड़ रुपए के बोझ में से 25 करोड़ के नुकसान को कम किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त बैंक में अतिरिक्त 95 मुलाजिमों को विभिन्न कोऑपरेटिव बैंकों में ट्रांसफर किया गया है। एनपीए के 80 करोड़ रुपए से भी 38 करोड़ रुपए डिफाल्टरों से रिकवर किये जा चुके हैं।