पठानकोट के एयरफोर्स स्टेशन पर हमेशा रही है पाक की कुदृष्टि
पाकिस्तान की कुदृष्टि हमेशा से पठानकोट के एयरफोर्स स्टेशन पर रही है। उसने 1971 के युद्ध में भी इस एयरबेस को निशाना बनाया था। इस एयरबेस ने कारगिल युद्ध में पाकिस्तान को करारी मात देेने में भी अहम भूमिका निभाई थी।
पठानकोट, [श्याम लाल]। यहां के एयरफोर्स स्टेशन पर पाकिस्तान की हमेशा से कुदृष्टि रही है। इसी कारण यह सुरक्षा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। इस एयरफोर्स स्टेशन को 1971 में हुए युद्ध के दौरान भी पाकिस्तान ने ध्वस्त करने का जी-तोड़ प्रयास किया था। अब उसने आतंकियों के माध्यम से इस इस पर हमला किया है।
1971 के युद्ध में पाकिस्तान ने इस स्टेशन के वन-वे को ध्वस्त करने का किया था प्रयास
वर्ष 1971 के युद्ध में 3 दिसंबर की शाम 5.40 बजे पाकिस्तान ने इस एयरफोर्स स्टेशन के रन-वे पर बेतहाशा बम गिराए थे। इस युद्ध के दौरान पठानकोट सहित एयरफोर्स स्टेशन पर कुल 53 बार हमला हुआ। इस दिन एक साथ पाकिस्तान के छह लड़ाकू जहाजों ने एयरफोर्स स्टेशन पर बम गिराए, लेकिन इसके बावजूद वह इसे ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा सका।
दुश्मनों के लिए चिकन नेक है पठानकोट
इतिहासकार बीआर कपूर ने उस क्षण को याद करते हुए बताया कि वह दिल दहलाने वाली घटना थी, लेकिन भारतीय सेना और वायुसेना ने दुश्मनों की एक नहीं चलने दी। इससे पहले 1965 में हुए भारत-पाक युद्ध के दौरान भी पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन को निशाना बनाया गया था। 6 सितंबर,1965 की सायं 5.35 बजे जब पाकिस्तान ने एयरफोर्स स्टेशन पर बम गिराए तो उससे एयरपोर्ट के हैंगर पर खड़े दो लड़ाकू विमानों को नुकसान हुआ। एशिया के नक्शे में पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन को दुश्मन के लिए चिकन नेक कहा जाता है।
मिग 21 व फाइटर जेट्स हैैं यहां, पर सुरक्षा नाकाफी
इस स्टेशन पर एयरफोर्स के कुल 18 विंग हैं। यहां वायुसेना की सारी जरूरतों को पूरा किया जाता है। एयरफोर्स स्टेशन काफी बड़ा। इसमें जहां सैनिक क्वार्टर हैं वहीं केंद्रीय विद्यालय भी है। यहां मिग-21,मिग-29 के अतिरिक्त अटैक हैलीकाप्टर भी हैं। करीब दस किलोमीटर की चारदीवारी के भीतर फैले एयरफोर्स स्टेशन में चारों ओर सुरक्षा की कमी हैं।
पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन का पिछला हिस्सा। यहीं से चारदीवारी फांद कर अंदर घुसे थे आतंकी।
यह स्टेशन पाकिस्तान के एयरबेस के बेहद करीब है। सैन्य जरूरतों के अनुसार इस तरह का एयरफोर्स स्टेशन ऐसी जगह पर होना चाहिए जो आम जनता से थोड़ा दूर हो लेकिन पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन चारों ओर आबादी से घिरा हुआ है। दस किलोमीटर लंबी चारदीवारी के बीच ऊंचे चेक पोस्ट तक नहीं हैैं।
पाक हमेशा करवाता है इस इलाके की जासूसी
यह स्टेशन पाकिस्तान से जहां करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर है वहीं चीन तक भी यह स्टेशन निगरानी करने में दक्ष है। करगिल युद्ध के दौरान इस एयरफोर्स स्टेशन ने पाकिस्तान की कमर तोडऩे में बेहतरीन भूमिका निभाई थी। यही कारण है कि यह एयरफोर्स स्टेशन दुश्मन की नजर की किरकिरी बना हुआ है।
देखें फोटो गैलरी : पठानकोट के एयरफोर्स स्टेशन मे यहां से घुसे थे आतंकी, देखें तस्वीरें
अपने नापाक मंसूबों को सिरे चढ़ाने के लिए कभी पाकिस्तान इस स्टेशन की जासूसी करवाता है तो कभी आतंकी हमला करवा कर यह संकेत देने की कोशिश करता है कि वह भारत के चप्पे-चप्पे से वाकिफ है। पिछले साल एयरफोर्स कर्मचारी सार्जेंट सुनील को जासूसी में शामिल करके उससे एयरफोर्स स्टेशन की जानकारी लेना भी इसी का हिस्सा है।
मुठभेड़ खत्म होने के बाद आसपास के क्षेत्र में सर्च अभियान चलाते सेना के जवान।
बेस की सुरक्षा के प्रति बेखबर थी एयरफोर्स
एयरफोर्स स्टेशन की चार दीवारी के पास सुरक्षा की दृष्टि से बनाए गए मचान में कोई भी एयरफोर्स का जवान तैनात नहीं था। स्टेशन की सुरक्षा को लेकर शुक्रवार को पंजाब पुलिस की बार्डर रेंज के आईजी लोक नाथ आंगरा व एयरफोर्स के अधिकारियों के बीच एक बैठक भी हुई थी।
बैठक के बावजूद एयरफोर्स के बेस की चार दीवारी के साथ लगे मचानों पर कोई भी सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई। इस कारण दीवार फांदकर भीतर घुसे आतंकियों के बारे में अधिकारियों व जवानों को तब जानकारी मिली जब उन्होंने पानी की टंकी के नजदीक से गोलीबारी करनी शुरू कर दी।
आखिर 48 घंटे कहां रहे आतंकी
गुरदासपुर के एसपी (एच) सलविंदर सिंह के वाहन सहित अपहरण की बात को यदि पंजाब पुलिस ने गंभीरता सेे लिया होता तो इस हमले को रोका जा सकता था। पंजाब पुलिस के एसपी से पूछताछ में ही अधिक व्यस्त रही और आतंकी नहर के आसपास जंगल में छिपे कर मौके का इंतजार करते रहे और मौका मिलते ही हमला कर दिया।
कहा यह भी जा रहा है कि सेना की वर्दी में आए वीरवार रात पांचों आतंकवादी सलविंदर सिंह को रावी नदी के साथ स्थित अकालगढ़ में छोडऩे के बाद रात को उसी दौरान एयरफोर्स के बेस स्टेशन की दीवार फांदकर भीतर घुस गए थे। अगर ऐसा है तो आतंकवादी लगभग 24 घंटे तक एयरबेस में छिपे रहे। तो, इसके बावजूद एयरफोर्स को इसका पता क्यों नहीं चला?
मुठभेड़ के दौरान एयरफोर्स स्टेशन के बाहर मुस्तैद जवान।
यह भी सवाल उठता है कि एसपी व उनके गनमैन को छोड़ने के बाद को आतंकी नहर के साथ सटी एयरबेस की दीवार को आसानी से फांद गए या वहां पर नहर के आसपास जंगल में छिप गए, इसका पता लगाने की ओर पुलिस का ध्यान क्यों नहीं गया।