लाइब्रेरी में धूल फांक रही तीन दशक पुरानी किताबें
कहते हैं किताब से बढ़ कर कोई सच्चा मित्र नहीं होता है। लेकिन, इन किताबों को सहेज कर रखनेवाली महाराजा रणजीत ¨सह लाइब्रेरी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है।
भीष्म भनोट, पठानकोट
कहते हैं किताब से बढ़कर कोई सच्चा मित्र नहीं होता है, लेकिन इन किताबों को सहेज कर रखने वाली महाराजा रणजीत ¨सह लाइब्रेरी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। नगर निगम कार्यालय के बिलकुल सामने शिमला पहाड़ी पर यह लाइब्रेरी बनी हुई है। इस लाइब्रेरी का उद्घाटन तत्कालीन मंत्री सरदारी लाल कपूर ने 10 जुलाई, 1982 को किया था। जिस समय इस लाइब्रेरी शुरू हुई थी, उस समय सैकड़ों लोग किताबें पढ़ने के लिए इस लाइब्रेरी में पहुंचते थे। अब इसकी दयनीय हालत को देखते हुए यहां पर बहुत कम लोग ही पहुंच रहे हैं। इस लाइब्रेरी में सात हजार से अधिक किताबें है, बावजूद इसका इस्तेमाल करने वालों की संख्या काफी कम है। लाइब्रेरी प्रशासन के अनुसार महज लाइब्रेरी के एक ही स्थायी पाठक सदस्य है, जो लाइब्रेरी में आकर पुस्तकों का इस्तेमाल करता है। जो अन्य पाठक इस लाइब्रेरी में पहुंचते हैं वह सिर्फ अखबार ही पढ़ने के लिए आते हैं। लाइब्रेरी की खस्ता हालत व नई किताबें न होने के कारण लोग लाइब्रेरी नहीं जाते हैं। किताबों की हालत इतनी बुरी हो चुकी है कि उनपर धूल जमी रहती है और वह पढ़ने लायक भी नहीं हैं। कई किताबें तो इतनी बुरी तरह से गल-सड़ चुकी हैं कि उन्हें पढ़ा नहीं जा सकता। इस लाइब्रेरी की हालत इतनी खस्ता हो चुकी है कि इसके कई दरवाजे व लोहे की ग्रिल टूट चुकी हैं। इस लाइब्रेरी को ई-लाइब्रेरी बनाने के लिए योजना तैयार की गई थी जिसके तहत इसमें फ्री वाईफाई, एसी की सुविधा सहित बु¨कग के लिए कंप्यूटर लगाए जाने थे। उस समय निगम की तरफ से लाइब्रेरी में एक कैबिन बनाया गया था जिसमें कंप्यूटर लगाने के लिए टेबल तो लगा दिए गए, परंतु अब लाइब्रेरी में पड़े कंप्यूटर टेबल कंप्यूटरों का इंतजार कर रहे हैं। लाइब्रेरी में महज बीस पाठकों के लिए है सि¨टग स्पेस
जिस समय इस लाइब्रेरी को शुरू किया गया था, उस समय इसमें पचास के करीब लोगों के बैठने की व्यवस्था थी। लेकिन, मौजूदा समय में इस लाइब्रेरी में सिर्फ 20 पाठकों के बैठने की व्यवस्था है। लाइब्रेरी के अन्य सि¨टग स्पेस में नगर निगम की तरफ से कंप्यूटर कैबिन बना दिया गया था जो अभी भी कंप्यूटरों के इंतजार में है। सदस्य बनने की फीस 65 रूपए, सदस्य महज एक
लाइब्रेरी का सदस्य बनने के लिए 65 रुपये चार्ज है। जबकि, हर वर्ष 15 रुपये रिन्यूवल फीस लगती है। इतनी कम राशि में आप इस लाइब्रेरी के सदस्य बन सकते हैं। बावजूद इसके लाइब्रेरी के सदस्यों की संख्या महज एक ही है।
बीते वर्ष लाइब्रेरी को चोरों ने बनाया था निशाना
शहर के बीचोंबीच शिमला पहाड़ी पर स्थित महाराजा रणजीत ¨सह म्यूनिसिपल लाइब्रेरी को पिछले वर्ष चोर निशाना बना चुके हैं। चोर लाइब्रेरी के पिछले हिस्से से लोहे की ग्रिल तोड़ कर लाइब्रेरी में घुसे और लाइब्रेरी में पड़ी अखबारों को चुरा ले गए। हालाकि, इस चोरी के दौरान किसी प्रकार की कोई किताब चोरी नहीं हुई थी।
लाइब्रेरी में नहीं है नई किताबें
पीएनबी बैंक से रिटायर गोपाल कृष्ण निवासी सराई मोहल्ला ने बताया कि वह 6-7 सालों से इस लाइब्रेरी में आ रहे हैं। लाइब्रेरी में अखबार और मैगजीन के अलावा किसी प्रकार की कोई नई किताब नहीं है। जो किताबें हैं भी वह पढ़ने लायक स्थिति में नहीं है। वहीं, गर्मियों के दिनों में लाइब्रेरी में बैठकर अखबार पढ़ने के दौरान उमस भरी गर्मी का सामना करना पड़ता है। लोगों का रूझान हो रहा कम
रिटायर अध्यापक व¨रदर कुमार निवासी लमीनी ने बताया कि वह 3 वर्षो से लाइब्रेरी में आ रहे हैं। अगर लाइब्रेरी में पढ़ने के लिए नई किताबें ही नहीं होंगी, तो लोग इसका फायदा कैसे उठा पाएंगे। लाइब्रेरी में आने वाले लोगों का रूझान पूरी तरह से समाप्त हो रहा है। अब महज दस से 20 लोग ही लाइब्रेरी में सिर्फ अखबार पढ़ने आते हैं। किताबों पर जमी है धूल की परत
बुजुर्ग प्रभदयाल निवासी सियाली रोड ने बताया कि वह 2 वर्षो से इस लाइब्रेरी में आ रहे हैं, लेकिन उन्हें लाइब्रेरी में अखबार के अलावा कोई भी किताब पढ़ने लायक नहीं दिखती है। किताबों पर धूल की परत जमी हुई है, ज्यादातर किताबें खराब हो चुकी हैं और पढ़ने लायक नहीं है। प्रशासन को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।
लाइब्रेरी की मरम्मत जल्द करवाई जाएगी : सतीश सैनी
नगर निगम के एक्सईएन सतीश सैनी से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि लाइब्रेरी को ई-लाइब्रेरी बनाने की योजना थी, जिसके लिए लाइब्रेरी में कैबिन बनाकर कंप्यूटर टेबल लगाए गए थे। उन्होंने कहा कि लाइब्रेरी की मरम्मत करवाने के लिए उच्चाधिकारिया को लिखा जाएगा, ताकि इसकी मरम्मत के लिए फंड जारी हो सके।