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परफ्यूम, दवाइयों और मच्छर मारने में प्रयोग होने वाले पौधों की खेती करेंगे धर निवासी

परफ्यूम दवाइयों और मच्छर मारने के लिए प्रयोग होने वाले पौधों की खेती अब जिले में की जाएगी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Oct 2020 12:25 AM (IST)Updated: Mon, 12 Oct 2020 12:25 AM (IST)
परफ्यूम, दवाइयों और मच्छर मारने में प्रयोग होने वाले पौधों की खेती करेंगे धर निवासी
परफ्यूम, दवाइयों और मच्छर मारने में प्रयोग होने वाले पौधों की खेती करेंगे धर निवासी

राज चौधरी, पठानकोट : परफ्यूम, दवाइयों और मच्छर मारने के लिए प्रयोग होने वाले पौधों की खेती अब जिले में की जाएगी। इस खेती के लिए अर्ध पहाड़ी क्षेत्र धार की मिट्टी और आबोहवा बेहद लाभप्रद है। वहीं दूसरी ओर जंगली जानवरों द्वारा हर साल फसल को उजाड़ने से परेशान इन लोगों की बड़ी मुश्किल का भी समाधान होगा। 15 सौ रुपये प्रति लीटर से 15 हजार प्रतिलीटर की कीमत में बिकने वाले इन पौधों से बनाए जा रहे तेल महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में ही उत्पादन किया जाता है। वन विभाग की ओर से इन लोगों को इसकी पैदावार के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे ये लोग आर्थिक रूप से मजबूत भी होंगे। जरेनियम पौधे से तैयार तेल की कीमत मार्केट में 15 हजार रुपये प्रति लीटर है। पामारोजा 2500 रुपये, सेटर्नोला 1800 रुपये, लेमन ग्रास 1400 रुपये और गुलाब तेल की कीमत तीन से चार लाख रुपये प्रति लीटर बताई जा रही है। इन फसलों के पत्तों में एक प्रकार के गंद होती है, जिस कारण ही जंगली जीव इनके निकट नहीं आते।

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जंगली सूअर और बंदर मचाते हैं उत्पात

धार और दुनेरा के लोगों की फसल को जंगली सूअर और बंदर हर साल बुरी तरह से खराब कर देते हैं। इन जानवरों के शिकार पर रोक लगी होने के कारण किसानों को फसल लगाने से लेकर फसल की कटाई तक दिन रात उसकी रखवाली के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।

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14 साल पहले से अपने खेतों में बहुत ही कम मात्रा में लगा रहे पठानिया

धार के गांव रौग, भंगूडी निवासी ईश्वर पठानिया ने कहा कि पहली बार करीब 14 साल पहले लेमन ग्रास, सेटर्नोला और जरेनियम की खेती शुरू की थी। इसे सीखने के लिए वह उत्तराखंड स्थित रिसर्च सेंटर सैली कुई में गए थे। आठ दिन के प्रशिक्षण के बाद इस फसल के रखरखाव संबंधी जानकारी ली गई थी। इंडोनेशिनया से मंगवाई जाने वाली इस फसल के तेल में भारत की भागीदारी सिर्फ 0.2 प्रतिशत तक ही सीमित है। जब फसल तैयार हो जाती है तो जयपुर की कंपनियों के साथ संपर्क साधा जाता है, वहां से मुख्य रूप से अपने ही वाहनों से इसकी स्टोरेज कर ले जाती हैं।

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पानी की कमी वाले एरिया में है अच्छी पैदावार

डीएफओ डाक्टर संजीव तिवारी ने कहा कि पानी की कमी वाले एरिया में इसकी अच्छी पैदावार होती है। विभाग की ओर से कृषकों को जागरूक कर इस साल 50 एकड़ में लेमनग्रास,10 एकड़ में जेरेनियम तथा 10 एकड़ में सेटर्नोला की खेती की गई है। इसकी पत्तियों को चाय तथा घर में फिनायल की जगह प्रयोग किया जा सकता है।


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