नेता बदले, सरकारें बदलीं, नहीं बदली सीमांत क्षेत्र के इलाके की सड़कों की हालत
देश को आजाद हुए 75 वर्ष बीत चुके हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को अभी भी जर्जर हालत की लिक सड़कों से छुटकारा नहीं मिल पाया है। मामूली बारिश होने पर सीमांत क्षेत्र की कई लिक सड़कें तालाब का रूप धारण कर लेती हैं। यहां से पैदल गुजरना भी ग्रामीणों के लिए कठिन हो रहा है।
दीपक कुमार, बमियाल : देश को आजाद हुए 75 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को अभी भी जर्जर हालत की लिक सड़कों से छुटकारा नहीं मिल पाया है। मामूली बारिश होने पर सीमांत क्षेत्र की कई लिक सड़कें तालाब का रूप धारण कर लेती हैं। यहां से पैदल गुजरना भी ग्रामीणों के लिए कठिन हो रहा है।
विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान सभी नेताओं ने सीमांत क्षेत्र में लिक सड़कों का जाल बुनने का वादा किया था, पर अभी तक इन जर्जर हो चुकीं सड़कों की हालत जस की तस बनी हुई है। बनिहाल के गांव समराला एवं गांव मुट्ठी से उज्ज दरिया पक्के पुल गांव मान सिंहपुर से अंतोर को जाती सड़क, गांव मजीरी से माखनपुर और नरोट जयमल सिंह बस स्टैंड से सरकारी अस्पताल को जाने वाली लिक सड़कों का हाल देख कर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्षेत्र की लिक सड़कें कितने बुरे हाल में हैं। पूर्व सरकार के समय में बनाई गई इन सड़कों का हाल यह हो चुका है कि इनसे गुजरना जोखिम भरा है। जगह-जगह गड्ढे पड़ चुके हैं। गड्ढों में बरसात का पानी भर जाता है और इससे दुर्घटनाएं होने की आशंका बनी रहती है।
लोगों का आरोप, सड़क निर्माण में नहीं रखा जाता गुणवत्ता का ख्याल
क्षेत्रवासियों यशपाल, राजेश कुमार, पवन कुमार, अजय कुमार इत्यादि ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के मौसम में मामूली सी बारिश होने पर ही इन सड़कों का हाल और खराब हो जाता है। अकसर दो पहिया वाहन चालक सड़कों पर पड़े गड्ढों में गिर कर घायल हो जाते हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि सड़कों के निर्माण के समय गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा जाता। ग्रामीणों ने मौजूदा सरकार से मांग करते हुए कहा कि क्षेत्र की जर्जर हालत सड़कों से जल्द छुटकारा दिलाया जाए।