घरोटा में 2 टीचर सरकार का सह रहे टार्चर
भले ही समय की सरकारें शिक्षा का स्तर को ऊंचा उठाने के दावे करती हों लेकिन हकीकत कुछ और ही बयान करती है। शिक्षा ब्लाक के घरोटा सेंटर के सरकारी प्राईमरी स्कूल में अध्यापकों के पद रिक्त होने के चलते बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। स्कूल में सेंटर हेड टीचर के अलावा 2 ही टीचर हैं जिनके जिम्मे कुल 6 कक्षाएं है। जिससे 6 कक्षाओं के 125 बच्चों को पढ़ाने के लिए सिर्फ 2 ही टीचर होने के चलते बच्चों को खासी परेशानी हो रही है।
संवाद सहयोगी, घरोटा : भले ही समय की सरकारें शिक्षा का स्तर को ऊंचा उठाने के दावे करती हो। लेकिन हकीकत कुछ और ही बयान करती है। शिक्षा ब्लाक के घरोटा सेंटर के सरकारी प्राइमरी स्कूल में अध्यापकों के पद रिक्त होने के चलते बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। स्कूल में सेंटर हेड टीचर के अलावा 2 ही टीचर हैं जिनके जिम्मे कुल 6 कक्षाएं है। 6 कक्षाओं के 125 बच्चों को पढ़ाने के लिए सिर्फ 2 ही टीचर होने के चलते बच्चों के साथ-साथ अध्यापकों को खासी परेशानी हो रही है।
दरअसल, क्षेत्र का सबसे पुराना और बड़ा सरकारी प्राइमरी स्कूल घरोटा है। यहां पर अध्यापकों के पद लंबे समय से खाली पड़े हैं। हाल ही में विद्यालय से 2 अध्यापकों के जाने से सेंटर हेड टीचर के अलावा 2 अध्यापक ही स्कूल में रह गए हैं जबकि स्कूल में सिर्फ प्राइमरी ही नहीं बल्कि प्री-नर्सरी की कक्षा भी अलग से चल रही है। विद्यालय में कक्षाओं और बच्चों की गिनती के मुकाबले अध्यापकों की गिनती कम होने के कारण बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। शिक्षकों की कमी ही नहीं बल्कि अन्य पहलुओं से भी स्कूल पिछड़ रहा है।
जलभराव व जर्जर भवन में बन रहा भविष्य
स्कूल सड़क के लेवल से नीचा होने के कारण बरसात का पानी जहां जमा हो जाता है तो वहीं स्कूल की पुरानी इमारत जर्जर हो चुकी है। जरूरत है नए भवन का निर्माण करने और अन्य सुविधाओं को उपलब्ध करवाने की, जिससे बच्चों को बढि़या वातावरण उपलब्ध हो सके। उधर, ब्लाक विकास संघर्ष कमेटी ने डायरेक्टर स्कूल शिक्षा पंजाब, डिप्टी कमिश्नर व विधायक को पत्र भेज कर अध्यापकों के खाली पदों को भरने और अन्य सुविधाएं जल्द उपलब्ध करवाने की गुहार लगाई है।
संघर्ष कमेटी के प्रयास से मिली थी ग्रांट
स्कूल की जर्जर स्थिति को लेकर कुछ समय पहले ब्लाक विकास संघर्ष कमेटी द्वारा पूरे जोश से मुद्दा उठाया गया था। कमेटी द्वारा मुद्दा उठाने के बाद डीजीएसइ की ओर से स्कूल के जर्जर भवन के कुछेक कमरों की रिपेयर के लिए ग्रांट रिलीज की थी। उस ग्रांट से हुई रिपेयर से स्कूल इमारत में कुछ सुधार तो जरूर आया था, लेकिन पूरी तरह इमारत को दुरूस्त करने के लिए स्कूल को ग्रांट की आज भी आवश्यकता है।
छावला व कौंतरपुर स्कूलों में भी एक-एक टीचर
ब्लाक के सिर्फ घरोटा प्राइमरी स्कूल में ही अध्यापकों की कमी नहीं है, बल्कि छावला व कोठे कौंतरपुर के स्कूल भी इस समस्या से जूझ रहे हैं। दोनों स्कूल एक-एक टीचर के सहारे ही चलाए जा रहे हैं। जिससे अध्यापकों पर काम का ज्यादा बोझ है और बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। एक शिक्षक पर ही स्कूल के बच्चों को शिक्षित करने, डाक तैयार करने समेत अन्य काम थोपे गए हैं। लंबे समय से स्थानीय लोग स्कूलों में अध्यापकों की कमी पूरी करने की मांग कर रहे हैं।