छह साल में 154 अज्ञात शव राख बने और विसर्जित भी हो गए, नहीं हो पाई पहचान,
2016 से लेकर अब तक के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो 154 शवों की पहचान नहीं हो पाई है। यानी औसतन हर साल 26 अज्ञात शव मिल रहे हैं। अंतिम संस्कार के बाद इनकी अस्थियां आज भी अपने वारिसों के इंतजार में हैं। पुलिस ने अधिकतर को फाइलों में दफन कर दिया है।
सूरज प्रकाश, पठानकोट: जिले में अज्ञात शव का मिलने का सिलसिला काफी समय से जारी है। दरिया से बहकर, रेल की पटरी पर और रोड के किनारे ये शव मिल रहे हैं, जिनकी अभी तक पहचान नहीं हो पाई है। कुछ केसों में बीमारी की वजह से ही व्यक्ति काल का ग्रास बने हैं। 2016 से लेकर अब तक के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो 154 शवों की पहचान नहीं हो पाई है। यानी औसतन हर साल 26 अज्ञात शव मिल रहे हैं। अंतिम संस्कार के बाद इनकी अस्थियां आज भी अपने वारिसों के इंतजार में हैं। पुलिस ने अधिकतर को फाइलों में दफन कर दिया है।
सेहत विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अज्ञात शव में पुरुषों की संख्या ज्यादा है। 2016 से लेकर जुलाई 21 तक जितने भी अज्ञात शव मिले है उनमें पुरुषों की संख्या 139 है, जबकि 15 महिलाएं हैं। कुल अज्ञात लोगों की संख्या 154 बनती है, जिनकी अभी तक पहचान नहीं हो पाई। 2016 में एक भी अज्ञात महिला का शव नहीं मिला।
हालांकि पुलिस रिकार्ड में अज्ञात शव की संख्या कम बताई जा रही है। पुलिस के अनुसार 2014 से 2018 के बीच 46 शव मिले हैं। 2019 को कोई रिकार्ड नहीं है। 2020 में केवल जनवरी की जानकारी है। इस माह दो शव मिले। एक जनवरी 2021 से 30 अप्रैल तक तीन अज्ञात शव मिले हैं। नियमानुसार अगर कोई अज्ञात शव मिलता है तो उसे पहचान के लिए 72 घंटे में सिविल अस्पताल के शवगृह में रखवाया जाता है, ताकि मृतकों के परिजन वहां पहुंच उनकी पहचान कर शव ले जाएं। पिछले छह वर्षों की बात करें तो बहुत से ऐसे लोग है जिनकी पहचान ही नहीं हो पाई और नगर निगम कर्मियों की ओर से उनका सरकारी तौर पर अंतिम संस्कार भी कर दिया गया है। सरकारी नियमों के अनुसार करवा दिया जाता है मृत देह का संस्कार
एसएमओ डा. राकेश सरपाल ने कहा कि अगर कोई अज्ञात शव सिविल में आता है तो उसे कागजी कार्रवाई के साथ शवगृह में रखवाया जाता है। शव का पोस्टमार्टम होने के बाद अगर मृतक के परिजन नहीं पहुंचते तो 72 घंटे बाद नगर निगम के कार्यालय में सूचित कर दिया जाता है। वह से कर्मी सिविल में पहुंचते है और सरकारी नियमों के साथ शव का अंतिम संस्कार कर देते हैं। एक बार संस्कार हो गया तो उसके बाद व्यक्ति की पहचान नहीं हो सकती। संस्थाएं करती हैं अस्थियों का विसर्जन
नगर निगम के चीफ सेनेटरी इंस्पेक्टर जानू चलोत्रा ने कहा कि अज्ञात शव जिनकी पहचान नहीं होती उनके दाह संस्कार के लिए नगर निगम संबंधित विभाग को सहायता राशि मुहैया करवाता है। विभागीय स्तर पर उसका संस्कार करवाया जाता है। उक्त मृतक की अस्थियों को स्वंय सेवी संस्थाओं की सहायता से आगे विर्सजित किया जाता है। 17 रेल हादसे, 78 रोड साइड एक्सीडेंट
2015 से लेकर 2021 जुलाई तक जिले में 17 रेल हादसे और 78 रोड साइक एक्सीडेंट हुए हैं। बाकी अलग-अलग बीमारियों या फिर सर्दी गर्मी के मौसम में तापमान की वजह से मौत के कारण बताए गए हैं।