छात्रों का टूटा विदेश जाने का ख्वाब
पठानकोट कोरोना महामारी ने पठानकोट के युवाओं की विदेश जाने की चाहत को अधूरा कर दिया है।
जागरण संवाददाता, पठानकोट: कोरोना महामारी ने पठानकोट के युवाओं की विदेश जाने की चाहत को अधूरा कर दिया है। महामारी के वैश्विक असर ने आइलेट्स शिक्षा व्यवस्था पर करारी चोटी की है। यही कारण है कि हर साल पठानकोट जिले से विदेश जाने वाले औसतन 500 युवाओं की हसरत अभी तक पूरी नहीं होगी। आइलेट्स पढ़ाई के लिहाज से मार्च - अप्रैल माह सबसे अहम होता है। इसी अंतराल में स्कूल परीक्षा पूरी करने के बाद बच्चे विदेश में उच्च शिक्षा की राह पकड़ते हैं। ऐसे में आइलेट्स सेंटर्स के पास बच्चों को कोचिंग देकर उनके स्टडी वीजा लगवाने का काम जोरों पर होता है, लेकिन महामारी ने इस दफा आइलेट्स सेंटर संचालकों की कमर तोड़ दी है। लगभग तीन माह से इन संस्थानों में ताले लटके हुए हैं। इस कारण कमाई न होने के कारण संचालकों के लिए अब इनका संचालन मुश्किल हो चुका है। जानकारी के अनुसार पठानकोट में करीब तीस आइलेटस सेंटर पंजीकृत हैं, जबकि, गैर पंजीकृत को मिलाकर सौं के करीब हैं। इनमें करीब पाच हजार युवा पढ़ाई कर रहे हैं। इन संस्थानों के पास लगभग 500 स्टाफ अपनी सेवाएं देता है। ऑनलाइन पढ़ाई, पर मोह छूटा सेंटर्स बंद होने के साथ ही विश्वभर में फैली महामारी का असर विदेश में पढ़ाई पर भी पड़ा है। ज्यादातर सेंटर्स में पढ़ाई पूरी तरह से बाधित है। कुछेक सेंटर्स ने ऑनलाइन स्टडी का सहारा लिया है, लेकिन विदेशों के हालातों को देख अब बच्चों में भी रूचि कम हो गई है। स्टाफ की तनख्वाह निकालना भी असंभव शहर के आइलेटस संचालक संदीप सलारिया ने कहा है कि कोरोना महामारी से इस क्षेत्र को बड़ा नुकसान हुआ है। कोरोना की दस्तक ऐसे समय में हुई जब आइलेट्स संस्थान पूरे साल का इंतजार करने के बाद बच्चों को कोचिंग देने के बाद विदेश भेजने की तैयारी में होते हैं। इस बार दुर्भाग्यपूर्ण ऐसा नहीं हो सका और आइलेट्स संस्थान इस समय बुरे आíथक दौर से गुजर रहे हैं। वहीं यदि संचालक ही घाटे में होंगे, तो वह संस्थान कैसे चला पाएंगे। उनके लिए स्टाफ की तनख्वाह या अन्य खर्च को निकाल पाना असंभव है।