ढहाए जाएंगे पठानकोट एयरफोर्स बेस परिसर से सटे घर!
पठानकोट एयरफाेर्स स्टेशन की चारदीवारी के 100 मीटर के दायरे में बने घर गिराए जाएंगे। इसके साथ ही अब एयरफाेर्स स्टेशन के आसपास 900 मीटर के दायरे में कोई निर्माण आगे से नहीं किया जा सकेगा।
पठानकोट, [विनोद कुमार]। एयरबेस परिसर पर करीब एक माह पहले हुए आतंकी हमले के बाद प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था में खामियों को दूर करने में जुट गया है। एयरफोर्स ने कहा है कि एयरबेस स्टेशन की चारदीवारी के सौ मीटर के दायरे में कोई निर्माण नहीं रहेगा। इसके अलावा वैपन स्टोरेज एरिया के 900 मीटर परिधि में भी अब कोई निर्माण नहीं होगा।
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100 मीटर के दायरे में बने घरों पर संकट, 900 मीटर परिधि में अब कोई निर्माण नहीं होगा
एयरफोर्स प्रशासन द्वारा इस संबंध में पत्र लिखे जाने के बाद डिप्टी कमिश्नर के निर्देश पर नगर निगम ने सर्वे शुरू कर दिया है जिसकी रिपोर्ट एक सप्ताह में आ जाएगी। सर्वे शुरू होते ही चारदीवारी के साथ स्थित घरों में रहने वालों में हड़कंप मच गया है।
आतंकी हमले के बाद सुरक्षा व्यवस्था की खामियां दूर करने की कवायद
पठानकोट नगर निगम की हद में ढाकी कॉलोनी व धीरा कालोनी के साथ ही गांव नौशहरा नालबंदा, अकालगढ़, स्वर्ण कलां, ऐमा चांगा व दरशोपुर का अधिकांश हिस्सा एयरफोर्स के प्रतिबंधित क्षेत्र में आता है। एयरफोर्स प्रशासन चाहता है कि इन सभी गांवों की उस जमीन को खाली कर दिया जाए जो एयरफोर्स की चारदीवारी के सौ मीटर के दायरे में आती है अथवा जो एयरफोर्स के वैपन स्टोरेज एरिया के 900 मीटर की परिधि में है। हिमाचल प्रदेश का गांव बेली महंता भी प्रतिबंधित क्षेत्र में आता है। एयरफोर्स ने इसके लिए डिप्टी कमिश्नर कांगड़ा को पत्र लिखा है और उन्होंने भी अपने स्तर पर इसका सर्वे शुरू करवा दिया है।
एयरफोर्स ने पहले भी लिखे थे पत्र
एयरफोर्स ने 28 दिसंबर, 2014 को जिला प्रशासन को पत्र लिख कर प्रतिबंधित क्षेत्र में निर्माण नहीं करने का निर्देश जारी किया था, लेकिन इस पर उचित कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद 17 दिसंबर, 2015 को फिर पत्र लिखा था। अब 11 जनवरी, 2016 को पत्र लिखकर निर्माण खाली करवाने के लिए कहा है।
सीधे कार्रवाई में सक्षम नहीं : कमिश्नर
एडीसी कम कमिश्नर नगर निगम कुमार सौरभ ने कहा कि सर्वे शुरू हो चुका है। इससे ग्राउंड रिपोर्ट तो हासिल हो जाएगी परंतु निगम डायरेक्ट किसी तरह की कार्रवाई करने में सक्षम नहीं होगा। एयरफोर्स की सुरक्षा तो जरूरी है, लेकिन नागरिकों के कानूनी अधिकारों के संरक्षण का मामला भी जुड़ा है।