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दादा-नाना व पुरखों की बनाई चीजों का दीदार करेंगे विदेशी पर्यटक

उधर, इस संदर्भ में जब विजिटर अमित चोपड़ा से बात की तो उनका कहना था कि सभी पयर्टक अपने दादा-नाना व पुरखों की ओर से अपने शासनकाल में बनाई गई चीजों को देखने के लिए आए हैं। उन्होंने कहा कि ट्रेन में केवल एक दिन की ही बु¨कग करवाई गई है। इसके अलावा आज वह पर्यटकों को शिमला में घूमा रहे हैं। ग्रुप में शामिल 13 पर्यटक सीनियर सिटीजन हैं जो इंग्लैड से दिल्ली, शिमला व नैरोगेज ट्रेन को ही देखने का प्रोग्राम बनाकर आए हैं। शुक्रवार को सुबह 9 बजे से रात्रि 9 बजे यह दो स्पेशल डिब्बों में बैजनाथ से रवाना होंगे और पालमपुर तक का सफर तय करेंगे। उक्त सेक्शन को चुनने के पीछे विदेशी पर्यटकों का तर्क दिया था कि उन्होंने नेट पर सर्च किया था कि पठानकोट-जो¨गद्रनगर नैरोगेज रेल सेक्श्न के बीच केवल पालमपुर-बैजनाथ ही ऐसा सेक्शन मनमोहन ²श्यों से भरा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 06:11 PM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 06:11 PM (IST)
दादा-नाना व पुरखों की बनाई चीजों का दीदार करेंगे विदेशी पर्यटक
दादा-नाना व पुरखों की बनाई चीजों का दीदार करेंगे विदेशी पर्यटक

विनोद कुमार, पठानकोट

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161 वर्ष पुराना जेड बी-66 स्टीम इंजन इंग्लैड से भारत भ्रमण पर आए 13 विदेशी पर्यटकों को हिमाचल की हसीन वादियों की सैर करवाएगा। शुक्रवार सुबह 9 बजे 13 सदस्यीय विदेशी पर्यटकों का ग्रुप बैजनाथ से पालमपुर के बीच यात्रा शुरू करेगा। 15 किलोमीटर का सफर 24 घंटे में पूरा करेंगे। सफर के दौरान ग्रुप के सदस्य धौलाधार की हसीन वादियों का नजारा लेते हुए विशेष तौर पर फोटोग्राफी करेंगे। पर्यटकों की ओर से इसके लिए दो विशेष कोच की डिमांड की गई थी जिसे रेलवे ने पूरा कर दिया है। इस बात की जानकारी ग्रुप के विजिटर दिल्ली के अमित चोपड़ा ने दी।

गौर हो कि विदेशी पर्यटकों की ओर से पठानकोट-जोगिन्द्रनगर नैरोगेज रेल सेक्शन पर स्टीम इंजन को चलाने की मांग के बाद पठानकोट रेलवे ने प्रतापगढ़ (गुजरात) से स्टीम इंजन की मांग की थी। मांग के बाद रेलवे ने 1857 में लंदन की एक प्राइवेट कंपनी की ओर से निर्मित किए गए जेड बी- 66 स्टीम इंजन को पठानकोट की वर्कशॉप में भेजा था। पठानकोट लोको में पहुंचे स्टीम इंजन को ठीक करके मार्च 2003 में रेलवे अधिकारियों की देखरेख में पठानकोट से ज्वालामुखी रोड तक लगभग तीस किलोमीटर तक ट्रायल लिया गया। ट्रायल तो कामयाब रहा परंतु इंजन के ब्वायलर में समस्या आ गई जिस कारण पर्यटकों और फिल्म निर्माताओं की डिमांड पूरी नहीं हो पाई। वर्ष 2004 में बॉलीवुड के एक फिल्म डायरेक्टर व विदेशी पर्यटकों ने दोबारा इंजन की मांग कर दी। इंजन का दूसरी बार डल्हौजी रोड स्टेशन तक दस किलोमीटर का ट्रायल हुआ लेकिन, दोबारा वही समस्या आ गई। 2007 में लखनऊ से आए अधिकारियों ने इसे ठीक किया परंतु समस्या का समाधान नहीं हो पाया। पिछले वर्ष यह अमृतसर से पठानकोट पहुंचा औ स्थानीय अधिकारियों की मेहनत सदका यह पूरी तरह से फिट हो गया।

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कोच की विशेषताएं-

स्टीम इंजन के साथ लगने वाले विशेष डिब्बों की खासियत है कि इसमें दो बैड, दो लग्जरी चेयर, आधुनिक सुविधाओं से लैस किचन और ¨वडो डोर पर बैठने के लिए बढि़या क्वालिटी के सोफे हैं। इसके अलावा फर्श पर पूरी तरह से कालीन बिछा हुआ है और कूलर वगैरह लगाए गए हैं।

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इंग्लैड से आए सभी पर्यटक हैं सीनियर सिटीजन

ग्रुप का नेतृत्व कर रहे विदेशी पर्यटक सीनियर सिटीजन ईयान स्टैनली ने बताया कि वह भारत भ्रमण पर आए हैं। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि वह देखना चाहते हैं कि उनके बुजुर्गो ने भारत को क्या-क्या चीजें दी हैं। अपने पंद्रह दिवसीय टूर के दौरान वह केवल हिमाचल प्रदेश के बड़े शहरों को देखेंगे। वे ब्रिटिशकाल में बनी वस्तुओं व बड़े कार्यों की जानकारी देखना चाहते हैं ताकि वह अपने देश में जाकर उनके इतिहास संबंधी परिजनों को बताएंगे। जेडबी-66 भी उनमें से एक है।

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विजिटर अमित चोपड़ा का कहना था कि सभी पर्यटक अपने दादा-नाना व पुरखों की ओर से अपने शासनकाल में बनाई गई चीजों को देखने के लिए आए हैं। ट्रेन में केवल एक दिन की ही बु¨कग करवाई गई है। ग्रुप में शामिल 13 पर्यटक सीनियर सिटीजन हैं जो इंग्लैड से दिल्ली, शिमला व नैरोगेज ट्रेन को ही देखने का प्रोग्राम बनाकर आए हैं। शुक्रवार सुबह 9 बजे से रात्रि 9 बजे यह दो स्पेशल डिब्बों में बैजनाथ से रवाना होंगे और पालमपुर तक का सफर तय करेंगे। उक्त सेक्शन को चुनने के पीछे विदेशी पर्यटकों का तर्क दिया था कि उन्होंने नेट पर सर्च किया था कि पठानकोट-जो¨गद्रनगर नैरोगेज रेल सेक्श्न के बीच केवल पालमपुर-बैजनाथ ही ऐसा सेक्शन मनमोहन दृश्यों से भरा है।


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