इस्तीफा, ज्वाइनिग, तबादला और फिर वापसी
सिविल सर्जन डॉ. विनोद सरीन को दो माह बाद फिर से सिविल अस्पताल की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
संवाद सहयोगी, पठानकोट : सिविल सर्जन डॉ. विनोद सरीन को दो माह बाद फिर से सिविल अस्पताल की जिम्मेदारी सौंपी गई है। रविवार रात को सेहत विभाग की ओर से आदेश जारी कर डॉ. सरीन को यहां का सिविल सर्जन बनकर भेजा गया। इससे पहले डॉ. सरीन का सेवाकाल काफी चर्चाओं में रहा है। कुछ माह पहले अचानक इस्तीफा देना और फिर ड्यूटी पर लौटना। बाद में विभाग की तरफ से ट्रांसफर के बाद कोरोना से जूझे। अब दोबारा सिविल सर्जन बनकर आए हैं। इस प्रकार अचानक उनके आने से स्टाफ अचंभित हैं और एक बार फिर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।
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जून में निजी कारणों के चलते दिया था इस्तीफा
सिविल सर्जन डॉ. विनोद सरीन ने जून में अचानक निजी कारणों का हवाला देकर त्यागपत्र दे दिया था। तब उनका तर्क था कि वे कोरोना संकट के चलते अपने परिवार को समय नहीं दे पाते। इसके बाद कुछ समय बाद ही उन्होंने अपना त्यागपत्र वापस लेकर काम करना शुरू कर दिया था। बाद में 26 जून को सरकार ने सरीन का तबादला चंडीगढ़ में कर दिया था। तनख्वाह उन्हें पठानकोट के सिविल सर्जन आफिस के हिसाब से दी जा रही थी। इसी अंतराल में डॉ. विनोद सरीन कोरोना पाजिटिव पाए जाने पर अमृतसर में उपचाराधीन भी रहे। बाद में वह पूरी तरह स्वस्थ हो गए।
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एसएमओ डॉ. भूपिद्र संभाल रहे थे कार्यभार
डॉ. सरीन के तबादले के बाद सिविल अस्पताल पठानकोट के एसएमओ डॉ. भूपिद्र सिंह को सरकार की ओर से सिविल सर्जन का एडिशनल चार्ज दिया गया था। सोमवार को सिविल सर्जन डॉ. विनोद सरीन के वापस ड्यूटी ज्वाइन करने के बाद उन्होंने एसएमओ के पद पर बैठ अपना कार्यभार देखना शुरू कर दिया है।
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डॉ. विनोद सरीन ने कहा कि सरकार के आदेशों की पालना करते हुए सिविल सर्जन का कार्यभार संभाल कर काम करना शुरू कर दिया है। इस संकट की घड़ी में एक बार फिर पहले की भांति जिले के कार्यभार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेकर काम करेंगे।