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बाबुल की बगिया में पौधे लगा दुल्हन ने ली विदाई

शाहपुरकंडी में लैब टेक्नीशियन नीरू की शादी क्षेत्र के लोगों के लिए मिसाल बन गई।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Nov 2019 11:12 PM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 11:12 PM (IST)
बाबुल की बगिया में पौधे लगा दुल्हन ने ली विदाई
बाबुल की बगिया में पौधे लगा दुल्हन ने ली विदाई

- शाहपुरकंडी की लैब टेक्नीशियन नीरू एक दिन में लगाती हैं एक पौधा कमल कृष्ण हैप्पी, जुगियाल (पठानकोट) : शाहपुरकंडी में लैब टेक्नीशियन नीरू की शादी क्षेत्र के लोगों के लिए मिसाल बन गई। दुल्हन नीरू ने शादी की रस्मों में पौधारोपण की एक और रस्म जोड़ दी। विदाई से पहले बाबुल की बगिया में पति संग लीची के 11 पौधे रोपकर रस्म निभाई फिर डोली में बैठी। नीरू के इस कदम की रिश्तेदारों और क्षेत्रवासियों ने खूब प्रशंसा की और पर्यावरण संरक्षण की सीख भी ली।

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नीरू पिछले पांच साल से पौधारोपण से जुड़ी हुई हैं। उसने एक दिन में एक पौधा रोपने का लक्ष्य रखा है। अब तक करीब डेढ़ हजार पौधे विभिन्न जगह लगा चुकी हैं। अपने घर के आसपास और गांव में उसने कई पौधे लगाए हैं। यह पौधे गांव के लोगों में नीरू की याद को भी ताजा रखेंगे। नीरू पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं। पिता सत्यपाल रणजीत सागर बांध से सेवानिवृत होकर ढाबा चलाते हैं। पति भी लैब टेक्नीशियन हैं और पठानकोट में कार्यरत हैं।

गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव पर लगाए 550 पौधे :

नीरू ने लैब टेक्नीशियन का कोर्स किया है। इस काम के लिए वह किसी से आर्थिक मदद नहीं लेती हैं। पौधारोपण का खर्च खुद उठाती हैं। श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव पर्व के उपलक्ष्य में भी उसने 550 पौधे रोपे हैं। रिश्तेदारों के घर जाकर भी रोपे पौधे : नीरू ने अपने घर और शाहपुरकंडी में ही पौधे नहीं रोपे बल्कि रिश्तेदारों के घर जाकर भी पौधारोपण किया। अंबाला में ननिहाल, फिरोजपुर में रिश्तेदारों के घर जाकर पौधे रोपे और उनकी संभाल की जिम्मेदारी परिवारों को सौंपी।

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प्रेरणा : कड़ी धूप में छांव के लिए नहीं मिल रहा था पेड़ :

नीरू का कहना है कि पांच साल पहले वह परिवार के साथ बस में सवार होकर माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए गई थी। एक ढाबे पर खाना खाने के लिए बस रुक गई। बस से बाहर आए तो कड़ी धूप से बचने के लिए छांव के लिए आसपास पेड़ देखने लगी। वहां आसपास कोई पेड़ ही नहीं था। उस यात्रा में उसने संकल्प लिया कि जब भी मौका मिलेगा वह पौधे जरूर लगाएंगी। पौधारोपण की शुरुआत अपने घर से की फिर क्षेत्र के सभी मंदिरों में भी पौधे लगाए। पौधारोपण अब हमारी जरूरत बन चुका है। खुशी की बात यह है कि पति संदीप भी पौधारोपण में रुचि रखते हैं।


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