Move to Jagran APP

तीसरी लहर की आशंका : जिले में विभाग के पास सिर्फ चार बाल रोग विशेषज्ञ, एक्सपर्ट बोले- 10 फीसद बच्चे संक्रमित तो भी 129 विशेषज्ञों की जरूरत

कोरोना वायरस की तीसरी लहर की आशंका लगाई जा रही है। इसको देखते हुए सेहत विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 Jun 2021 04:26 AM (IST)Updated: Mon, 07 Jun 2021 04:26 AM (IST)
तीसरी लहर की आशंका : जिले में विभाग के पास सिर्फ चार बाल रोग विशेषज्ञ, एक्सपर्ट बोले- 10 फीसद बच्चे संक्रमित तो भी 129 विशेषज्ञों की जरूरत
तीसरी लहर की आशंका : जिले में विभाग के पास सिर्फ चार बाल रोग विशेषज्ञ, एक्सपर्ट बोले- 10 फीसद बच्चे संक्रमित तो भी 129 विशेषज्ञों की जरूरत

संवाद सहयोगी, पठानकोट : कोरोना वायरस की तीसरी लहर की आशंका लगाई जा रही है। इसको देखते हुए सेहत विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। अस्पताल प्रबंधन चिल्ड्रन वार्ड को बच्चों के लिए आइसोलेशन वार्ड में तबदील करने में जुट गया है। वहीं, इस वार्ड में आक्सीजन की पाइप लाइन भी बिछानी शुरू कर दी गई है।

loksabha election banner

वहीं गौरतलब है कि सेहत विभाग के पास सबसे बड़ी समस्या बच्चों के स्पेशलिस्ट डाक्टर और स्टाफ की कमी है। सिविल अस्पताल में 180 कुल बेड है जो इमरजेंसी वार्ड, आइसोलेशन वार्ड, मेल वार्ड, फीमेल वार्ड, चिल्ड्रन वार्ड सहित अलग-अलग वार्ड में है और अस्पताल में 16 के करीब डाक्टर व 34 के करीब स्टाफ नर्स व वार्ड अटेंडेंट बताए जा रहे है। इस मुश्किल के दौर में इतने स्टाफ की बस की बात नहीं होगी कि वे कोविड की तीसरी लहर में मरीजों को संभाल पाएगा।

जिले में बच्चों की आबादी की बात करें तो करीब 4.31 लाख है, जबकि जिले में विभाग के पास सिर्फ चार बाल विशेषज्ञ हैं, जिनमें से तीन सिविल और एक घरोटा में तैनात है। अगर, कोरोना की तीसरी लहर दस प्रतिशत यानी 43100 बच्चों पर भी बुरा असर दिखाती है तो भी इतनी बड़ी संख्या के आगे यह डाक्टर कुछ भी नहीं है। वहीं इस संबंध में बाल रोग विशेषज्ञ डा. सुनील घई का कहना है कि हजार बच्चों की मेडिकल सुविधा पीछे कम से कम तीन डाक्टर की जरूरत होती है। अगर जिले के बच्चों की संख्या के दस फीसद के हिसाब से सोचे तो करीब 129 बाल विशेषज्ञ डाक्टरों की जरूरत होगी, जोकि अपने पूरे जिले में भी नहीं है। ऐसे में स्थिति ओर गंभीर हो सकती है।

अभी तक शुरू नहीं हुआ आक्सीजन प्लांट का काम

पिछले कई दिनों से पठानकोट सिविल अस्पताल में लगने वाला 250 सिलेंडर की क्षमता का आक्सीजन प्लांट जगह मिलने में देरी के कारण अटक गया है। कुछ दिन पहले एक टीम द्वारा भी अस्पताल का आक्सीजन प्लांट लगाने के लिए जगह संबंधी निरीक्षण किया गया था और एमआरआइ सेंटर के साथ वाली खाली पड़ी जगह पर सिलेक्शन भी किया गया था, लेकिन आधे अधूरे इंतजाम के चलते प्लांट का काम शुरू नहीं हो सका। तीसरी लहर बच्चों पर प्रभावी रही तो 25 बेड वाले चिल्ड्रन वार्ड को बनाएंगे आइसोलेशन वार्ड : एसएमओ

एसएमओ डा. राकेश सरपाल ने कहा कि तीसरी लहर अगर बच्चों के लिए प्रभावित होती है तो उसे ध्यान में रखते हुए 25 बेड वाले चिल्ड्रन वार्ड को आइसोलेशन वार्ड में तबदील कर दिया जाएगा। ताकि लेवल-टू वाले बच्चों का सिविल में ही उपचार हो सके। आगे की तैयारियों को लेकर उनकी विभाग के साथ जल्द एक बैठक भी होने वाली है, जिसमें यह पता चलेगा कि कोविड-19 में बच्चों के लिए ओर क्या-क्या फेसिलिटी बनाई जाए। अस्पताल प्रबंधन ने पहले ही एमसीएच बिल्डिग को आइसोलेशन वार्ड में तबदील किया गया है, उसमें केवल 65 बेड की फेसिलिटी चल रही है। वहीं, अस्पताल प्रबंधन द्वारा अब 25 बेड वाले चिल्ड्रन वार्ड को भी आइसोलेशन वार्ड के साथ जोड़ लिया गया है। प्रत्येक बेड के साथ आक्सीजन कंसंट्रेटर व आक्सीजन सिलेंडर की सुविधा भी है। अब आइसोलेशन वार्ड में कुल बेड की संख्या 90 हो गई है। इसके अलावा 25 बेड का आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। जरूरत पड़ने पर उसे भी इस्तेमाल में लाया जाएगा। वहीं, स्टाफ की कमी को देखते हुए सेहत विभाग द्वारा सिविल में 12 नए चिकित्सकों को ज्वाइन करवाया गया है। इनमें कुछ की डयूटी इमरजेंसी वार्ड व कुछ की डयूटी आइसोलेशन वार्ड में लगाई गई है। ताकि कोरोना की दूसरी वेब में भी कोविड मरीजों व आम मरीजों को किसी भी तरह की समस्या से ना जूझना पड़े।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.