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धान पर हल्दी रोग का कहर, 12 फीसद फसल प्रभावित

जिले भर में विभिन्न स्थानों पर धान की फसल पर फालस्मत (हल्दी रोग) ने दस्तक दे दी है। ऐसे में किसानों की चिताएं फसल को लेकर बढ़ने लगी हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 10:42 PM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 10:42 PM (IST)
धान पर हल्दी रोग का कहर, 12 फीसद फसल प्रभावित
धान पर हल्दी रोग का कहर, 12 फीसद फसल प्रभावित

संवाद सहयोगी, पठानकोट : जिले भर में विभिन्न स्थानों पर धान की फसल पर फालस्मत (हल्दी रोग) ने दस्तक दे दी है। ऐसे में किसानों की चिताएं फसल को लेकर बढ़ने लगी हैं। हल्दी रोग का सबसे अधिक असर हाइब्रिड किस्सों पर हुआ है। रोग के कारण जहां एक ओर फसल के दाने पाउडर के भांति बन रहे हैं, वहीं दूसरी ओर फसलों की ग्रोथ भी रुक गई है। इस कारण अनुमानित 12 फीसद के करीब फसल प्रभावित हुई है।

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इसलिए हुआ रोग

-यूरिया के अधिक प्रयोग

-गैर प्रमाणित किस्सों के कारण

-फसल के तैयार होने के समय बारिश

-मौसम में नमी होने के कारण -----------

किसानों को किया जा रहा जागरूक

खेतीबाड़ी महकमे ने भी रोग पर काबू पाने के साथ ही किसानों को जागरूक कर रही है। समय पर रोग के लक्षण पहचानने के साथ ही उपाय बताया जा रहा है।

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तैयार हो चुकी फसल पर असर

जिले भर में फालस्मत रोग ने लगभग तैयार हो चुकी धान की फसल पर हमला किया है, जिससे किसानों की फसल प्रभावित हुई है।

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दस टीमों का किया गया गठन

डीसी संयम अग्रवाल के दिशा निर्देश पर कृषि तथा किसान भलाई विभाग सजग हो गया है। विभाग की ओर से 10 टीमों का गठन किया गया है। गांव-गांव जाकर धान की फसल का मुआयना कर रही है। इन टीमों में ब्लॉक खेतीबाड़ी अधिकारी डॉक्टर अमरीक सिंह, खेतीबाड़ी विस्तार अफसर गुरदित सिंह, खेतीबाड़ी उप-निरीक्षक निरपजीत कुमार और सहायक टेक्नोलॉजी प्रबंधक आत्मा अमनदीप सिंह विशेष रूप से शामिल किये गए हैं।

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ऐसे करें बचाव-

500 ग्राम कापर हाइड्रोआक्साइड 46 डीएफ या 400 मिलीलीटर पिकोकसीसट्रोबिन तथा प्रोपीकोनजोल को 200 लीटर पानी के घोल में छिड़काव कर देना चाहिए। जरूरत से अधिक छिड़काव और किसी के कहने पर कताई छिड़काव न किया जाए।

कृषि अधिकारी से ले सलाह

यदि आपको संदेह है कि धान की फसल पर पीली कुंगी का असर हुआ है तो कृषि विभाग के अधिकारियों को सूचित करें तथा उनके सुझाव पर ही फसल पर छिड़काव किया जाए। बिना जानकारी के छिड़काव करने से फसल का दाना बनने की प्रक्रिया पर गहरा असर हो सकता है।

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फसलों का होता है उत्पादन कम

इस रोग की चपेट में आने से फसलों में झाड़ कम मिल पाएगा। कई किसान आन-फानन में अब फसलों पर बिना अधिकारियों की सलाह के छिड़काव कर रहे हैं जिसका फायदे की जगह नुकसान होने का अधिक संभावना बनी हुई है।

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लक्षण दिखे तो करें सूचित डॉक्टर हरतरण पाल सिंह तथा ब्लाक खेतीबाड़ी अफसर डॉक्टर अमरीक सिंह ने बताया कि फालस्मत के लक्षण दिखाई पड़ते ही विभाग को सूचना दी जाए ताकि अधिकारियों द्वारा बताई गई दवाई का छिड़काव कर इसके असर को खत्म किया जा सके।


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