फैक्टर फंडा: जिले में जातिवाद का समीकरण भी चुनाव नतीजों को करेगा प्रभावित
ऐसे में दो ब्राहमण प्रत्याशी होने की सूरत में ब्राहमण वोट बंटने की आशंका थी। इसके चलते अश्विनी शर्मा को प्रत्याशी बनाने की घोषणा से पहले ही यह दांव खेला गया। वहीं कांग्रेस की ओर से अमित विज को प्रत्याशी बनाया गया है। इससे ब्राह्मण सभा के पदाधिकारियों द्वारा यह भी संकेत दिए गए हैं कि वे कांग्रेस का समर्थन नहीं करेंगे।
जागरण संवाददाता, पठानकोट: विधानसभा चुनावों में जातिवाद का समीकरण भी नतीजों को काफी हद तक प्रभावित करेगा। पठानकोट और सुजानपुर में अभी से इसकी संभावनाएं नजर आना शुरू हो गईं हैं। पठानकोट में बीते दिनों ब्राह्मण सभा के कुछ पदाधिकारियों व कांग्रेस के एक पूर्व विधायक के परिवार द्वारा आप प्रत्याशी से रिश्तेदारी बताकर कांग्रेस से कन्नी काट ली गई है। हालांकि, ब्राहमण समाज के कुछ लोगों की मानें तो रिश्तेदारी की आड़ इसलिए लेनी पड़ी क्योंकि, भाजपा की ओर से भी पठानकोट से अश्विनी शर्मा को प्रत्याशी बनाए जाने की संभावना है। ऐसे में दो ब्राहमण प्रत्याशी होने की सूरत में ब्राहमण वोट बंटने की आशंका थी। इसके चलते अश्विनी शर्मा को प्रत्याशी बनाने की घोषणा से पहले ही यह दांव खेला गया। वहीं, कांग्रेस की ओर से अमित विज को प्रत्याशी बनाया गया है। इससे ब्राह्मण सभा के पदाधिकारियों द्वारा यह भी संकेत दिए गए हैं कि वे कांग्रेस का समर्थन नहीं करेंगे।
वहीं, बात अगर सुजानपुर विधानसभा की बात करें तो वहां जातिवाद का समीकरण हावी रह सकता है। जहां एक ओर सुजानपुर विधानसभा से भाजपा की ओर से दिनेश सिंह बब्बू को प्रत्याशी बनाया गया है, दूसरी ओर अमित सिंह मंटू को आम आदमी पार्टी ने टिकट दे दी है। ऐसे में राजपूत बिरादरी के भी दो खेमों में बंटने से हलके के पूरे राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। बता दें कि सुजानपुर विधानसभा हलके में राजपूत बिरादरी के 30 हजार से अधिक मतदाता हैं। इसके साथ ही अकाली-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी राज कुमार गुप्ता और कांग्रेस के प्रत्याशी नरेश पुरी में भी महाजन-खत्री बिरादरी के वोटों को लेकर खासी खींचतान रहेगी। इसका भी सीधा असर चुनाव के नतीजों पर पड़ेगा। आरक्षित भोआ विधानसभा हलके में राजपूत-जाट समाज करेगी प्रत्याशी का भाग्य उदय
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित भोआ विधानसभा हलके में तुरुप का इक्का राजपूत और जाट बिरादरी के लोगों के पास रहेगा। भोआ विधानसभा हलके में मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में कांग्रेस में विद्रोह होने के आसार बने हुए हैं। ऐसे में अनुसूचित जाति का वोट और ज्यादा खेमों में बंटने की संभावना है। ऐसी परिस्थितियां बनने पर राजपूत और जाट बिरादरी के लोग जोकि 10 फीसदी से भी कम संख्या में हैं, जिसकी ओर भी रुझान करेंगे उस प्रत्याशी का भाग्य उदय हो सकता है।