निगम ने निकाले 50 कर्मी, मेयर के खिलाफ प्रदर्शन
निगम के नए जुड़े एरिया की वाटर सप्लाई पर काम करने वाले 50 निकाले गए कर्मचारियों ने बुधवार को निगम प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।
जागरण संवाददाता, पठानकोट
निगम के नए जुड़े एरिया की वाटर सप्लाई पर काम करने वाले 50 निकाले गए कर्मचारियों ने बुधवार को निगम प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। कर्मचारियों ने पहले निगम कार्यालय में नारेबाजी की ओर बाद में मेयर कार्यालय के समक्ष डेरा लगा लिया। धरने पर बैठे कर्मचारियों की मांगों को जायज मानते हुए कांग्रेस भी उनके समर्थन में आ गई। हाउस में नेता विपक्ष व सीनियर कांग्रेसी पार्षद ने कर्मचारियों को पार्टी की ओर से समर्थन करने का ऐलान किया। कांग्रेस पार्टी की ओर से समर्थन मिलने के बाद हड़ताली कर्मियों को काफी हौसला मिल गया।
इससे पूर्व स्वच्छ भारत वाटर सप्लाई यूनियन की ओर से प्रधान धर्मेंद्र ठाकुर के नेतृत्व में कर्मचारियों ने निगम प्रशासन की नीतियों को जमकर कोसा। यूनियन प्रधान धर्मेद्र ठाकुर ने कहा कि अगर पिछले 7 महीने से यह लड़के बिना किसी गतिविधियों के काम कर रहे थे तो इनसे शहर व नए जुड़े एरिया के ट्यूबवेलों पर काम क्यों लिया गया। उन्होंने कहा कि नगर निगम की ओर से इन लड़कों से गर्मियों में पूरा काम लिया गया और मेयर साहब को पता ही नहीं है तो शर्म की बात है। शीघ्र ही इन्हें वेतन नहीं दिया गया तो वह लोग मेयर की कोठी का घेराव करने पर विवश होंगे।
कर्मचारियों को एक दम से निकालना गलत : विभूति शर्मा
नेता विपक्ष कांग्रेस के सीनियर पार्षद विभूति शर्मा ने कहा कि आज मेयर कह रहे हैं कि यह इनके कर्मचारी ही नहीं। लेकिन, गर्मी के मौसम में वह क्यों नहीं बोले तब तो इनसे काम ले लिया। अब काम निकल गया तो इन्हें कर्मचारी मानने से मना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 50 कर्मचारियों को एक दम से निकाल देने का मतलब पचास परिवार है जो सरासर गलत बात है। कांग्रेस पार्टी इन कर्मचारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है ओर उन्हें किसी भी कीमत पर निकलने नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि वह उनके लिए सरकार से भी बात करेंगे ओर निगम कमिश्नर को भी सारी स्थिती से अवगत करवाकर इन्हें रोजगार दिलाने का हर संभव काम करेंगे।
इन कर्मियों को किसने रखा, जानकारी नहीं : मेयर
उधर, मेयर अनिल वासुदेवा ने कहा कि हमें खुद इस बात का पता नहीं है कि इन लोगों को किसने रखा। रखने से पहले हाउस में एक प्रस्ताव आता है जिस पर उपस्थित समूह पार्षदों की सहमति बनती है उसके बाद ही काम को मंजूरी दी जाती है। वह ऐसी किसी भी प्रक्रिया के तहत काम नहीं कर रहे हैं। रही बात इनकी हड़ताल के कारण वाटर सप्लाई प्रभावित होने की तो ऐसा किसी हाल में नहीं होगा। जिन वाटर सप्लाइयों पर यह काम करते थे उन पर दूसरे कर्मचारियों को भेज कर लोगों को पानी मुहैया करवाया जाएगा।