नया साल नया जन्म, लोहड़ी का मतलब अज्ञानता मिटाना
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से ¨सबल चौक पठानकोट स्थित आश्रम में समागम का आयोजन किया गया। जनसमूह को संबोधित करते हुए साध्वी गरिमा भारती ने कहा कि हमारा भारतवर्ष पीर पैगंबरों का देश है। यहां की बोली, पहरावा, खान-पान में भिन्नता होते हुए भी देशवासियों के बीच एकता नजर आती है। यह एकता है इस भूमि पर मनाए जाने वाले पावन पर्व जिनका हमारे जीवन के साथ गहरा संबंध है। नए साल का पहला त्योहार है लोहड़ी।
जागरण संवाददाता, पठानकोट : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से ¨सबल चौक पठानकोट स्थित आश्रम में समागम का आयोजन किया गया। जनसमूह को संबोधित करते हुए साध्वी गरिमा भारती ने कहा कि हमारा भारतवर्ष पीर पैगंबरों का देश है। यहां की बोली, पहरावा, खान-पान में भिन्नता होते हुए भी देशवासियों के बीच एकता नजर आती है। यह एकता है इस भूमि पर मनाए जाने वाले पावन पर्व जिनका हमारे जीवन के साथ गहरा संबंध है। नए साल का पहला त्योहार है लोहड़ी। लोहड़ी के आने का मतलब है धुंध, कोहरे और सर्दी का अंत। साध्वी ने बताया कि हमारा जीवन भी अज्ञानता की धुंध से ढका हुआ है। लोहड़ी से पहले नया साल आता है जो संकेत है नए सिरे से जिन्दगी की शुरुआत यानी एक नया जन्म। इसी प्रकार जब गुरु ज्ञान देता है, तो हमारी आत्मा का एक नया जन्म होता है। लोहड़ी के दिन सभी के हाथों में तिल पकड़ाए जाते हैं जिन्हें आग में फेंका जाता है। लोहड़ी त्योहार का मुख्य मंतव्य केवल हंसना-गाना ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक कारण को जानकर भक्ति-मार्ग की ओर अग्रसर होना है। यह दिन अपने गलत कर्मो पर पश्चाताप कर अच्छे कर्म करने का ढृढ़-संकल्प धारण करने का है। यह पर्व महापुरुषों की जीवनी व विचारों पर ¨चतन-मनन करने का है। इस लोहड़ी पर्व में जीवन मे भाईचारा, एकता और मिलजुल कर रहने का ही उद्देश्य छिपा हुआ है।