पाक बॉर्डर से टिड्डियों के घुसने की आशंका
पठानकोट पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के देश के बॉर्डर से सटी कई सीमाओं से जहां इस बार टिड्डी दल के हमले का खतरा बना हुआ है।
वीरेन पराशर, पठानकोट: पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के देश के बॉर्डर से सटी कई सीमाओं से जहां इस बार टिड्डी दल के हमले का खतरा बना हुआ है, वहीं पठानकोट जिले के साथ सटी साठ किमी. लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भी टिड्डियों की घुसपैठ की आशंका बनी हुई है। इसको लेकर जिला प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है। प्रशासन के साथ ही कृषि - बागवानी के साथ दूसरे विभागों के अधिकारियों को भी टिड्डी दल के हमलों को बेअसर बनाने का जिम्मा सौंपा गया है। अभी तक के आकलन में यही माना जा रहा है कि टिड्डियों का अगर हमला होता है, तो राजस्थान के साथ सटे पाकिस्तान बॉर्डर से उनके घुसने की अधिक संभावना है। बावजूद इसके प्रशासन किसी तरह का खतरा मोल नहीं ले रहा और यहां भी पाकिस्तान बॉर्डर के खुले इलाके को भी टिड्डियों के हमले को नकारा नहीं जा रहा है। हालांकि, एक साथ लाखों टिड्डियों के दल से निपटने का तरीका अभी ईजाद नहीं हो पाया है, पर किसानों को बचाव के तरीके अपनाकर नुकसान को कम या रोकने की तरकीबें सिखाई जा रही हैं। गौर हो कि
पठानकोट जिले में अभी तक टिड्डियों का कोई भी हमला नहीं हुआ है। देश सहित पंजाब के राज्यों में यह अपना कहर बरपा चुकी हैं, पर पठानकोट इससे अछूता रहा है। अब जिस तरह से टिड्डियों के कई राज्यों में घुसने और फसलों को तहस नहस करने की घटनाएं घट रही हैं, उससे पठानकोट भी अलर्ट में रखा गया है।
हमला हुआ, तो लीची - आम को खतरा इन दिनों परंपरागत खेती में जहां गेहूं का सीजन खत्म हो चुका है, वहीं मक्की एवं धान की रोपाई - बिजाई का काम शुरू हुआ है। इनके अंकुरित या पौधों के निकलने में समय लगेगा, पर टिड्डियों इन्हें नुकसान पहुंचा सकती है। चिता की बात यह हैकि जिले में 15 हजार एकड़ में तैयार लीची की फसल को को टिड्डियां निशाना बना सकती हैं। अगर ऐसा होता है तो सौ करोड़ से अधिक के कारोबार को चपत लगेगी। इसके अलावा आम सहित दूसरे फल एवं सब्जियों की खेती को भी नुकसान होगा।
हमले से निपटने को मुहिम जारी उधर खेतीबाड़ी अधिकारी डॉ अमरीक सिंह ने कहा कि कृषि पर टिड्डियों के हमले की आशंका को लेकर जिला प्रशासन एवं कृषि विभाग सतर्क है। जिले में टीमें गठित करने के साथ ही किसानों को बचाव का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। मुहिम के तहत बॉर्डर एरिया के किसानों को मॉकड्रिल से जागरूक करने के साथ ही स्प्रे एवं बचाव के तरीके सिखाए जा रहे हैं। जिलेभर में टिड्डियों से बचाव को लेकर किसानों को जानकारी दी जाएगी। प्रयास है कि ऐसी घटना घटित होती है, तो इन्हें नुकसान से रोका जा सके।