पाबंदियों के चलते ढाबे व होटल झेल रहे हैं भारी नुकसान
कोरोना वायरस के चलते ढाबा और होटल संचालक परेशानी में हैं। समय सीमा के प्रतिबंध इनके व्यवसाय पर चोट कर रही हैं।
संवाद सहयोगी, पठानकोट : कोरोना वायरस के चलते ढाबा और होटल संचालक परेशानी में हैं। समय सीमा के प्रतिबंध इनके व्यवसाय पर चोट कर रही हैं। सरकार ने ढाबा और होटल रात 9 बजे तक खोलने की इजाजत दे रखी है। ज्यादातर ढाबे या होटल मालिक चालान से बचने के लिए 8:30 या 9:00 बजे से पहले इन्हें बंद कर देते हैं। हालांकि नेशनल हाईवे पर स्थित ढाबे 9:00 बजे के बाद भी थोड़ी देर तक खुले रहते हैं। कई लोग जो नियमित रूप से ढाबों पर खाना खाते हैं वे भी 9:00 बजे से पहले ही अपना खाना पैक करवाना ही मुनासिब समझते हैं। कुछ यही हाल होटल वालों के साथ भी हो रहा है जहां लोग रात का खाना खाने या तो जल्दी जाते हैं या समय के प्रतिबंध के कारण खाली हाथ वापस आ जाते हैं क्योंकि होटल वाले किचन बंद करने का हवाला देकर उन्हें वापस भेज देते हैं।
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समय सीमा की वजह से हम मजबूर हैं
ढाबा मालिक सुरेंद्र कुमार ने बताया कि पहले से ही लोग ढाबों पर कम आ रहे हैं। रात के 9 बजे से पहले ढाबा बंद करने का नियम भारी पड़ रहा है। क्योंकि शाम 8:30 बजे ही बंद करना शुरू कर देते हैं जिसकी वजह से कई खाना खाने आने वालों को बिना खाना खाए ही वापस भेजना पड़ता है। हमें दुख होता है जब कोई हमारा ग्राहक बिना खाना खाए वापस जाए लेकिन समय सीमा की वजह से हम मजबूर हैं सरकार ढाबों की समय सीमा बढ़ाएं यह हम चाहते हैं।
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रात को समय सीमा बढ़ जाए
गुलजार ढाबे पर काम करने वाले कुक का कहना है कि जितने भी ग्राहक आते हैं वह स्वादिष्ट खाना खाकर हमें कुछ ना कुछ टिप देकर जाते थे। इसकी वजह से तनख्वाह के अतिरिक्त हमारा फायदा हो जाता था। अब क्योंकि पहले से ही ग्राहक कम आ रहे हैं तो अगर रात को समय सीमा बढ़ जाए तो हमारे ग्राहक भी बढ़ेंगे और हमें टिप देने वाले ग्राहकों में भी बढ़ोतरी होगी।