लापरवाही : कोरोना संदिग्ध मरीजों को इमरजेंसी में कर दिया शिफ्ट
सिविल अस्पताल पठानकोट का सेहत विभाग यहां कोरोना से लड़ने के लिए तैयार है वहीं साथ ही वो कोरोना के संदिग्ध मरीजों को निर्धारित स्थान पर रखना भूल गया है।
संवाद सहयोगी, पठानकोट : सिविल अस्पताल पठानकोट का सेहत विभाग यहां कोरोना से लड़ने के लिए तैयार है वहीं साथ ही वो कोरोना के संदिग्ध मरीजों को निर्धारित स्थान पर रखना भूल गया है। मंगलवार को ऐसी ही लापरवाही अस्पताल प्रबंधन की ओर से देखने को मिली। दो सांस की समस्या से ग्रस्त मरीज एक महिला व एक पुरुष अस्पताल में अपना चेकअप करवाने के लिए आए। सबसे पहले उनकी सैंपलिग करवाई गई और बाद में उन्हें अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। इमरजेंसी वार्ड में खुले में रखे मरीजों के पास उनके पारिवारिक सदस्य बैठे हुए थे और दूसरे लोग भी चेकअप करवाते समय वहां से गुजर रहे थे। कुछ घंटों के बाद मरीजों की हालत गंभीर होते देख उन्हें अमृतसर रेफर कर दिया। सबसे बड़ी हैरानी की बात यह है कि इमरजेंसी वार्ड में एक गर्भवती महिला डॉक्टर व स्टाफ नर्स उस समय अपनी जान खतरे में डालकर ड्यूटी निभा रही थीं। ऐसे में अस्पताल प्रबंधन सबकी जिदगी के साथ खिलवाड़ करने में लगा हुआ है। इस मामले संबंधी जब सिविल सर्जन डॉ. भूपिद्र सिंह के साथ फोन के जरिए संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।
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इमरजेंसी वार्ड में रोजाना आ रहे 300 मरीज
सिविल अस्पताल पठानकोट के इमरजेंसी वार्ड में रोजाना तीन सौ के करीब मरीज अपना चेकअप करवाने के लिए आते हैं। ऐसे में कोरोना संदिग्ध मरीजों इमरजेंसी वार्ड में खुले में रखना उनकी जान से खिलवाड़ करने के बराबर है।
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अस्पताल में नहीं आइसोलेशन वार्ड की फैसेलिटी
कोरोना संदिग्ध व पॉजिटिव मरीजों के लिए पहले सिविल अस्पताल की एमसीएच बिल्डिग को आइसोलेशन वार्ड में तबदील किया गया था और इसमें कोरोना के मरीजों के लिए 50 बेड भी रिजर्व रखे गए थे। परंतु जब से एमसीएच बिल्डिग को जच्चा-बच्चा अस्पताल घोषित किया गया है तभी से अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड की फैसिलिटी खत्म हो चुकी है इसलिए अस्पताल प्रबंधन अब कोरोना संदिग्ध मरीजों को इमरजेंसी वार्ड में शिफ्ट कर रहा है।
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चितपूर्णी मेडिकल कॉलेज है आइसोलेशन वार्ड
जिले में कोरोना पाजिटिव मरीजों के लिए सिर्फ एक ही आइसोलेशन वार्ड रह गया है और वह चितपूर्णी मेडिकल कॉलेज में बनाया गया है। यहां मरीजों के लिए पांच सौ बेड रिजर्व रखे गए हैं और अभी वहां पर कुछ कोरोना पाजिटिव मरीजों का उपचार भी चल रहा है।